गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उल्लेखनीय और विजय में देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सुशासन व विकास के संकल्प और पार्टी अध्यक्ष श्री अमित शाह के कुशल प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका तो रही है। बीजेपी के इस शानदार प्रदर्शन में औद्योगिक राज्य गुजरात में व्यापक संख्या में मौजूद भोजपुरिया माइग्रेंट वोटरों के योगदान भी कमतर नहीं है।
बीजेपी ने इस वोट बैंक की कीमत को समझते हुए उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी एवं दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष एवं भोजपुरिया स्टार Manoj Tiwari को बतौर स्टार कैंपेनर चुनावी मैदान में उतारा। इन्होंने ने जोरदार रैलियाँ की, रोड शो किये। इन रैलियों में उपस्थित होने वाली भीड़ वोट में भी बदली जिसका असर चुनाव परिणामों में साफ दिखता है। राज्य सभी प्रमुख औद्योगिक शहरों मसलन सूरत, भरूज, अहमदाबाद, राजकोट, जामनगर, बलसाड, वापी आदि में बीजेपी की भारी जीत इसकी गवाही खुद दे रही है।
सूरत जैसे व्यावसायिक शहर जिसे नोटबंदी और जीएसटी से बेजार बताया जा रहा था और नोटबंदी और जीएसटी के बाद की परिस्थितियों से उत्पन्न रोजगार की कठिनाईयों से सबसे परेशान कोई था तो वह पुरबिया प्रवासी श्रमिक ही थे। लेकिन इन परेशानियों के बावजूद भी पुरबिया मतों का ध्रुवीकरण बीजेपी के पक्ष में हुआ और पुरबिया लोगों का विश्वास मोदी जी बना रहा, बीजेपी को इसे नहीं भूलना चाहिए।
ऐसे में इन प्रवासियों की मातृभाषा भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए केंद्र सरकार को प्रयास करना चाहिए। सबका साथ-सबका विकास के संकल्पों को पूरा करने के लक्ष्य साथ आगे बढ़ने वाली सरकार में भोजपुरी अगर उपेक्षित रहे तो यह दु:खद ही है।
प्रधानमंत्री स्वयं भोजपुरी संस्कृति के केंद्र बनारस के सांसद हैं, प्रदेश में उनके ही दल का शासन है ऐसे में भोजपुरियों के इस बहुप्रतिक्षित मांग को पूरा करने से सरकार के यश में वृद्धि ही होगी।
पंजाब और केरल की सरकारों ने अपने राज्य प्रवासी कल्याण बोर्ड स्थापित किया है। ऐसे में गुजरात में प्रवासी कल्याण बोर्ड को स्थापित किया जाना चाहिए जिससे प्रवासी श्रमिकों के हितों का ख्याल रखा जा सके। गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को फतह हासिल करने के लिए बहुत सारी बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।
उम्मीद है सुशासन के संकल्पों एवं संकल्प से सिद्धि के लक्ष्यों पूरा करने के लिए नवनिर्वाचित सरकारें काम करती रहेंगी।