शारदा सिन्हा जी को मुझे रूबरू सुनने का सौभाग्य पहली बार 1 अक्टूबर 2000 को भोजपुरी समाज दिल्ली के मंच पर तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित जी एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री चंद्रशेखर जी की उपस्थिति में मिला.,जो मिठास तब थी,पिछले वर्ष सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरीयम में दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी बरक़रार महसूस हुई.
भोजपुरी सुर कोकिला शारदा सिन्हा जी को “पद्मभूषण” से अलंकृत किया जाना भोजपुरिया जगत के लिए बेहद हर्ष एवं गौरव का प्रतीक है.सम्मान की घोषणा के उपरांत उनकी पहली प्रतिक्रिया थी कि यह सम्मान ना सिर्फ़ लोक संगीत का बल्कि जिस भाषा में उन्होंने अपने सुरों को अभिव्यक्ति दी है उस भाषा का भी सम्मान है.उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए सरकार से आग्रह भी किया है कि भोजपुरी भाषा को संवैधानिक मान्यता भी जल्द मिलनी चाहिए.
वहीं भोजपुरी परिवार के एक और गौरव श्री कृष्ण बिहारी मिश्र जी को “पद्मश्री” से नवाजे जाने पर हम सभी का सम्मान और बढ़ा है.श्री मिश्र कलकत्ता में साहित्य सेवा में जुड़े एक प्रख्यात व्यक्तित्व हैं,सिर्फ़ भाषा ही नहीं,चेतना एवं सांस्कृतिक पहचान के स्तर पर भी.
पद्म पुरस्कृत उपरोक्त दोनों विभूतियाँ भोजपुरी की संवैधानिक मान्यता को लेकर बेहद मुखर हमेशा से रही हैं.मैं उम्मीद करता हूँ कि मोदी जी इन विभूतियों की इच्छा एवं 20 करोड़ भोजपुरी भाषियों की आशा के अनुरूप भोजपुरी भाषा को उसका वाजिब हक़ देने में और विलम्ब नहीं करेंगे.