केंद्रीय कैबिनेट में किए गये फेरबदल के तहत शामिल किए गये मंत्रियों में भाजपा सांसद अश्विनी कुमार चौबे का नाम भी शामिल है. जिन्होंने ‘घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान’ का नारा दिया था. अश्विनी चौबे बिहार के बक्सर से लोकसभा सदस्य हैं. वह 1970 के दशक में जेपी आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे. उन्हें आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिया गया था.
‘घर-घर में हो शौचालय का निर्माण, तभी होगा लाडली बिटिया का कन्यादान’ का नारा देने वाले अश्विनी चौबे ने महादलित परिवारों के लिए 11,000 शौचालय निर्माण में भी मदद की. मई 2014 के आम चुनाव में वे 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए. वह ऊर्जा पर संसद की प्राक्लन एवं स्थायी समिति के सदस्य हैं. साथ ही वे केंद्रीय रेशम बोर्ड के भी सदस्य हैं. भागलपुर के दरियापुर के रहने वाले अश्विनी चौबे बिहार विधानसभा के लिए लगातार पांच बार चुने गये. वह वर्ष 1995 से 2014 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे.
अश्विनी चौबे बिहार सरकार में आठ साल तक स्वास्थ्य, शहरी विकास और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी सहित अहम विभागों के पदभार संभाल चुके हैं. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और वर्ष 1974 से 1987 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वे सदस्य रहे. अश्विनी चौबे ने 1967- 68 में बिहार सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन में भाग लिया था. उन्होंने केरल में 1972-73 में अखिल भारत छात्र नेता सम्मेलन में भी भाग लिया था.
साल 2013 में अपने परिवार के साथ अश्विनी चौबे ने भीषण केदारनाथ बाढ़ का सामना किया था. उन्होंने इस आपदा पर ‘केदारनाथ त्रासदी’ पुस्तक भी लिखी है. उन्होंने प्राणी विज्ञान में बीएससी (आनर्स) किया है. योग में उनकी विशेष रुचि है.