पटना : मुन्ना सिंह के गैंग से जुड़ कर सेना की बहाली में सेटिंग करानेवाले दानापुर कैंट के दो हवलदार देवले और शेखर के नामों को शाहपुर पुलिस ने प्राथमिकी में शामिल कर लिया है. पुलिस अब इन दोनों की गिरफ्तारी के वारंट के लिए कोर्ट पहुंची है. ये दोनों महाराष्ट्र के रहनेवाले हैं.
एसएसपी मनु महाराज ने बताया कि कोर्ट से आदेश मिलते ही दोनों को गिरफ्तार किया जायेगा. इस मामले में दानापुर के कर्नल ने भी पटना पुलिस से संपर्क किया है और इनके बारे में पूरी जानकारी ली है. अब दोनों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी तय है. वहीं, पूछताछ में मुन्ना सिंह ने सेना भरती बोर्ड, मुजफ्फरपुर के कर्नल की पत्नी को बहाली के लिए पैसे देने की बात कही है. इसके बाद पटना पुलिस की एक टीम कर्नल से पूछताछ के लिए मुजफ्फरपुर भेजी गयी है. दोनों हवलदारों के खिलाफ पुलिस के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं. मोबाइल फोन की सीडीआर से इस बात की पुष्टि हुई है कि मुन्ना के गैंग और दोनों हवलदारों के बीच बातचीत होती थी. सेना भरती में क्लर्क पद की जिम्मेदारी निभानेवाले दोनों हवलदार लिखित परीक्षा और मेडिकल के नाम पर एक लाख रुपये लेते थे. इसके बाद परीक्षा का प्रश्नपत्र मुन्ना तक पहुंचा देते थे. यहां से मुन्ना अपने गुर्गों के माध्यम से और वाट्सअप के जरिये सेटिंग वाले परीक्षार्थियों को पेपर लीक करा देता था.
आमने-सामने होगी पूछताछ
गिरफ्तारी का वारंट मिलने के बाद हवलदारों के गिरफ्तार होते ही पटना पुलिस मुन्ना गैंग के रिमांड के लिए कोर्ट में आवेदन करेगी. इसके बाद मुन्ना, उसके गैंग और हवलदारों से पहले अलग-अलग पूछताछ होगी और फिर आमने-सामने बैठा कर पूछताछ की जायेगी.
पुलिस का दावा है कि इस मामले में पूरा रैकेट जल्द सामने आयेगा. जिस तरह से सेना की बहाली में सेटिंग का मामला सामने आया है, इससे साफ है कि इसकी जड़ें काफी गहरी हैं. सेना के भरती बोर्ड में बैठे बड़े और छोटे अधिकारी इसमें शामिल हैं. हालांकि, अभी दो हवलदारों के अलावा और किसी का नाम सामने नहीं आया है, लेकिन जो क्लू मिले हैं, उनके आधार पर सेटिंगवाली जड़ें पुलिस खोदने में लगी है.
मुजफ्फरपुर में टीम भेजी गयी
28 जनवरी को मुन्ना और उसके गैंग के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद पटना पुलिस ने अन्य जिलों से मुन्ना का आपराधिक इतिहास मांगा था. इसमें मुजफ्फरपुर के काजी मुहम्मदपुर थाने से जानकारी मिली थी कि मार्च, 2016 में सेना भरती बोर्ड, मुजफ्फरपुर के कर्नल की पत्नी को अपहरण कर जान से मारने की धमकी मिली थी. इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
इस मामले में पटना पुलिस ने जब मुन्ना से पूछताछ की, तो उसने बताया कि कर्नल की पत्नी से पुणे में भेंट हुई थी. इस दौरान सेना में बहाली कराने के नाम पर उन्हेें 12 लाख रुपये दिये गये थे. लेकिन, उन्होंने बहाली नहीं करायी. इसके बाद पैसा वापस करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था. उनसे फोन पर बात की गयी थी, जिस पर कर्नल ने केस दर्ज करा दिया था. अब इस मामले में पटना पुलिस की एक टीम मुजफ्फरपुर भेजी है. टीम कर्नल से पूछताछ करेगी. उनकी संलिप्तता की जांच की जायेगी.
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की इंटर स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक प्रकरण की विस्तृत जानकारी पटना समेत अन्य जिलों से मांगी है. पटना, शेखपुरा, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समेत अन्य संबंधित जिलों से स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है. इओयू पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद अपनी जांच शुरू कर सकती है. अभी तक इस संबंध में कोई ठोस विशेष जानकारी नहीं मिली है.
2012 से अब तक पांच बड़े मामले दर्ज हो चुके इओयू में
2012 से 2014 के बीच इओयू में परीक्षा में फर्जीवाड़े से जुड़े पांच बड़े मामले दर्ज हो चुके हैं. इनमें 150 से अधिक आरोपितों की गिरफ्तारी हो चुकी है. इनमें जेइ, बीसीइसीइ, सिपाही बहाली समेत अन्य कई प्रतियोगिता परीक्षाएं शामिल हैं. 2014 के बाद से इओयू में कोई बड़े स्तर पर परीक्षा में धांधली का मामला दर्ज नहीं हुआ है. मालूम हो कि इओयू में परीक्षा की धांधली से जुड़े सिर्फ बड़े मामले ही दर्ज होते हैं.
रंजीत डॉन से व्यापम तक के घोटाले
बिहार में प्रतियोगिता परीक्षाओं में व्यापक स्तर पर फर्जीवाड़ा करने का व्यापक मामला पहली बार सीबीआइ ने उजागर किया था. इसमें सीबीआइ ने रंजीत डॉन और उसके पूरे रैकेट का उजागर करके राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाली मेडिकल, इंजीनियरिंग समेत अन्य सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं में होनेवाली बड़ी धांधली का परदाफाश किया था. इसके बाद से कई मामले में अलग-अलग कई गैंग और धंधेबाजों के नाम अलग-अलग परीक्षाओं में सामने आते रहे हैं. दूसरा सबसे बड़ा और चर्चित घोटाला था मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला. सीबीआइ ने अपनी जांच के दौरान इस घोटाले के तार बिहार से जुड़े होने की बात साबित की. बिहार से सबसे ज्यादा करीब 16 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गयी. मामले की जांच अभी चल ही रही है. सीबीआइ की टीम कई बार इससे जुड़े मामले की जांच के लिए बिहार आ चुकी है.
टॉपर्स घोटाले में बड़े नाम
पिछले वर्ष में बिहार बोर्ड का टॉपर्स घोटाला सबसे चर्चित मामला रहा है. इसमें बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव से लेकर कर्मचारी और कुछ निजी कॉलेजों की साठगांठ का पूरा रैकेट सामने आया था. पैसे लेकर मनचाहा नंबर देना और जिसे चाहा, उसे टॉपर बना देने का मामला सामने आया था. इस मामले में बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष समेत एक दर्जन लोगों को जेल जाना पड़ा है.
इओयू में दर्ज बड़े मामले
– दिसंबर, 2012 में जेइ की परीक्षा में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी सामने आयी थी. इसमें प्रभात रंजन कुमार समेत 82 को अभियुक्त बनाया गया था. इस गैंग ने प्रश्नपत्र ऑउट करके उसके उत्तर बेचे थे.
-अक्तूबर, 2012 में एक प्रतियोगिता परीक्षा में फर्जीवाड़ा के मामले में दो एफआइआर दर्ज की गयी है. एक में विनोद कुमार समेत 21 को और दूसरे में बंटी कुमार उर्फ धीरज कुमार समेत 16 अन्य को अभियुक्तों बनाया गया था. इस परीक्षा में हाइटेक चोरी का मामला सामने आया था. परीक्षा केंद्र के अंदर से प्रश्नपत्र का फोटो खींच कर वाट्सएप पर वायरल कर दिया गया. फिर सभी प्रश्नपत्रों के उत्तर ब्लूटुथ के जरिये दर्जनों छात्रों को लिखाये जा रहे थे.
– जनवरी, 2013 को विकास कुमार और डब्लू सिंह समेत को प्रश्नपत्र लीक करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था.
– फरवरी, 2014 में सत्येंद्र कुमार और आठ अन्य अभियुक्तों के गैंग को दबोचा गया था. इन्होंने उत्तर सप्लाइ करने का काम किया था.