राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद भले ही 66 फीसद वोट पाकर चुनाव जीत गए। लेकिन इस जीत के बावजूद भी भाजपा का एक ख्वाब जरूर अधूरा रह गया है जिसे पूरा करने के लिए पार्टी ने पूरी कोशिश की। दरअसल भाजपा चाहती थी कि इस चुनाव में वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को मिले वोटों के प्रतिशत का रिकॉर्ड दे। ऐसा हो भी सकता था क्योंकि में केंद्र में भाजपा की प्रचंड बहुमत वाली सरकार है और कई राज्यों में भी भाजपा की ही सत्ता है। फिर भाजपा प्रणब दा के रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाई।
बड़े पैमाने पर रामनाथ कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग भी हुई है। गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और दिल्ली में कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की खबर है। गुजरात की क्रॉस वोटिंग कांग्रेस के लिए बुरी खबर है क्योंकि अगले महीने ही राज्यसभा की तीन सीटों के लिए चुनाव होने हैं। राज्य में इसी साल विधानसभा के भी चुनाव हैं। माना जा रहा है कि शंकर सिंह वाघेला के समर्थक विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट डाला। गुजरात में कोविंद को 132 वोट मिले और मीरा कुमार को 49। जबकि राज्य में भाजपा के 121 विधायक हैं और कांग्रेस के 57। इस हिसाब से कम से कम 8 कांग्रेस विधायकों ने कोविंद के पक्ष में वोट दिया। जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के कुछ विधायकों के भी कोविंद के पक्ष में वोट डालने की खबर है।
दिल्ली में कोविंद को 6 जबकि मीरा कुमार को 55 वोट मिले। जबकि भाजपा के चार ही विधायक हैं। इस हिसाब से आम आदमी पार्टी के दो विधायकों ने कोविंद को वोट दिया। जबकि 6 वोट वैध नहीं पाए गए। पश्चिम बंगाल में भी दिलचस्प तस्वीर उभर कर सामने आई। वहां कोविंद को 11 जबकि मीरा कुमार को 273 वोट मिले। भाजपा और उसके सहयोगी दल के 6 वोट हैं। इस हिसाब से कोविंद को कुछ दूसरी पार्टियों के वोट भी मिले।
त्रिपुरा में भी रामनाथ कोविंद को वोट मिले हैं। वहां से कोविंद को सात जबकि मीरा कुमार को 53 वोट मिले। जबकि वहां भाजपा का कोई विधायक नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के बागी विधायकों ने कोविंद को वोट दिया।महाराष्ट्र में भी कोविंद के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की खबर है। वहां कोविंद को 208 जबकि मीरा कुमार को 77 वोट मिले। वहां भाजपा-शिवसेना के 185 विधायक हैं जबकि कांग्रेस एनसीपी के 83। इस हिसाब से कांग्रेस एनसीपी के कुछ वोट दूसरे खेमे में गए दिखते हैं।
गोवा में भाजपा की गठबंधन सरकार है। वहां कोविंद को 25 वोट मिले जबकि मीरा कुमार को 11 वोट मिले। वहां भाजपा और सहयोगी पार्टियों के 22 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के 16 विधायक है, यानी मीरा कुमार को उम्मीद से पांच वोट कम मिले।
इसी तरह असम में भी सत्तारूढ़ भाजपा को विपक्षी खेमें में सेंध लगाने में कामयाबी मिली है। वहां कोविंद को 91 वोट मिले जबकि मीरा कुमार को 35 वोट। लेकिन भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास 87 विधायक ही हैं।कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के पास 39 विधायक, यानी कोविंद को उम्मीद से चार वोट ज्यादा मिले हैं।
इस चुनाव में 21 सांसदों के वोट वैध नहीं पाए गए। जबकि कुछ विधायकों ने भी वोट डालने में गड़बड़ की। 56 विधायक अपने वोट ठीक से नहीं डाल पाए और उन्हें वैध नहीं माना गया। क्रॉस वोटिंग के कई सियासी मायने हैं। ये आने वाले वक्त में कई राज्यों में सियासी समीकरणों के बनने-बिगड़ने का इशारा कर रहे हैं। खासतौर से गुजरात में तस्वीर बेहद दिलचस्प हो सकती है क्योंकि शंकर सिंह वाघेला के बागी तेवर आने वाले दिनों में खुल कर सामने आ सकते हैं।