रागिनी अभय के पिता और उस्ताद संतूर के महान वादक स्वर्गीय पंडित भजन सोपोरी की शिष्या रही है और दोनों ने साथ साथ साथ संगीत सीखा और युवावस्था से लेके अबतक साथ बड़े हुए।
लेकिन जीवन के संघर्ष और अपनी अपनी राहों को बनाने संवारने की व्यस्तता के चलते दूर हुए कभी पास हुए सिलसिला ऐसे ही चलता रहा।
अभय देश विदेश के दौरों में व्यस्त रहने लगे। रागिनी अपनी रागिनी में व्यस्त हो गई । वक्त ने दूरी तो बनाई लेकिन एक दूसरे की चिन्ता खुशी के पल जीवन के उतार चढ़ाव में खैर ख़बर लेते रहे।
मुम्बई प्रवास के दौरान जीवन और सफल होने का अलग ही संघर्ष जारी रहा। अभय ने कुछ फिल्मों में संगीत दिया और रागिनी ने अपना गायन रियाज़ और शोज में शिरकत जारी रखी।
जीवन संघर्ष में हम बहुत से उतार चढ़ाव और लोगो से मिलते है। कई बार अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णय करने में हम ठहर जाते है । परिवार, जिम्मेदारियां वक्त परीक्षा लेता है।