सुप्रीम कोर्ट आज आधार पर अपना फैसला सुना रही है. इन मामलों में आधार की वैधता, कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग, एससी-एसटी को प्रमोशन में आरक्षण जैसे फैसले शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर मामले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कोर्ट में हैं. कोर्ट ने आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार को अनिवार्य बनाना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि आधार कार्ड की ड्यूप्लिकेसी संभव नहीं है और इससे गरीबों को ताकत मिली है.
आधार कार्ड को मोबाइल और बैंक अकाउंट से लिंक करना जरूरी नहीं
कोर्ट ने आधार पर फैसला सुनाते हुए कहा कि बैंक अकाउंट और मोबाइल से आधार लिंक करना जरूरी नहीं है. लेकिन आधार कार्ड को पैन से जोड़ना जरूरी है. कोर्ट ने ये भी कहा कि आधार को वित्त विधेयक की तरह पास किये जाने में कुछ गलत नहीं है तो वहीं किसी ज़रूरतमंद को प्रमाणीकरण (बायोमेट्रिक की पुष्टि न हो पाना) की कमी के चलते लाभ से वंचित न किया जाए. फैसले में कहा गया कि प्राइवेट कंपनी बायोमैट्रिक डेटा साझा नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा CBSE और NEET के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया. स्कूल भी एडमिशन के लिए लिए आधार कार्ड को अनिवार्य तौर पर नहीं मांग सकते हैं. इसके लिए अवैध प्रवासियों को आधार नहीं दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके जरिए आधार से हाशिए पर जी रहे लोगों को सुविधा हो रही है. बता दें कि आधार एक्ट की धारा 57 को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इसका मतलब ये हुआ कि कोई भी निजी कंपनी या कोई शख्स आपकी पहचान के लिए आपसे आधार की डिमांड नहीं कर सकता.
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इससे पहले आधार लिंक करना जरूरी था
सरकार ने कई सारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया था. बैंक अपने ग्राहकों से अलग अलग तारीख को खाते को आधार से लिंक कराने को कह रही थी. वहीं रेवेन्यू डिपार्टमेंट द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक ये कहा गया था कि अंतिम तिथि तक अगर आधार को बैंक खाते से लिंक नहीं कराया जाता तो अकाउंट बंद भी किया जा सकता था. लेकिन अब इस फैसले के बाद न तो आपको अपना मोबाइल नंबर और न ही बैंक अकाउंट आधार के साथ लिंक करना जरूरी है.
क्या कहा कोर्ट ने
कोर्ट ने कहा कि सरकार को यह भी सुनिश्चत करना चाहिए कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड न मिल सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘किसी भी व्यक्ति को दिया जानेवाला आधार नंबर यूनीक होता है और किसी दूसरे को नहीं दिया जा सकता है. इसके साथ ही जस्टिस सीकरी ने केंद्र से कहा है कि वह जल्द से जल्द मजबूत डेटा सुरक्षा कानून बनाए. कोर्ट ने कहा- गरीमा के साथ जीवन मौलिक अधिकार है, आधार से वंचित तबके को गरिमा मिल रही है. 99.76% लोग आधार से जुड़े, अब उन्हें सुविधा से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा- किसी जानकारी का जारी होने क्या राष्ट्रहित में है? ये उच्च स्तर पर तय हो. जानकारी जारी करने का फैसला लेने में हाई कोर्ट जज की भी भूमिका हो. आधार एक हद तक निजता में दखल है लेकिन ज़रूरत को देखना होगा. कोर्ट ने माना कि आधार से समाज को फायदा हो रहा है.
जस्टिस सीकरी ने आधार पर फैसला पढ़ते हुए कहा- हमें लगता है कि बायोमेट्रिक की सुरक्षा के पुख्ता उपाय हैं. कोर्ट ने कहा- किसी व्यक्ति का डेटा रिलीज़ करने से पहले उसे जानकारी दी जाए. आधार पर फैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा- आधार यूनीक है ये सबसे अलग बनाता है. कोर्ट ने कहा कि ‘बेस्ट’ होना आपको नंवर वन बनाता है लेकिन ‘यूनीक’ होना ओनली वन बनाता है.
बता दें कि आधार की वैधानिकता को चुनौती देने वाली 27 याचिकाओं पर करीब चार महीने तक बहस चली थी. बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था. फैसला आने से पहले बतौर अटर्नी जनरल आधार केस में सरकार का पक्ष रखनेवाले मुकुल रोहतगी ने कहा कि डेटा की सुरक्षा महत्वपूर्ण है और सरकार ने भी साफ कहा है कि वह डेटा की सुरक्षा करेगी.
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