बिहार अपडेट: सेंटिनल द्वीप पर अमेरिकी नागरिक की हत्या के बाद अंडमान की जनजातियां एक बार फिर चर्चा में आगयी. जलवायु परिवर्तन, टूरिज्म और अन्य आधुनिक गतिविधियों के कारण इन जनजातियों का अस्तित्व अब खतरे में है. कई वर्षों की रिसर्च में यहां रहने वाली शिकारी जनजातियों की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की थ्योरीज सामने आई हैं, लेकिन कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं.
इसे भी पढ़े: खेसारी ने इनको लिया गोद
बतौर नेग्रिटो पहचाने जाने वाली इस छोटी जनजाति के सदस्य अफ्रीकन पिग्मी जनजाति से मिलते-जुलते हैं. लेकिन आमतौर पर यह माना जाता है कि ये प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के मॅलानिशियाई लोगों के वंशज हैं. हालांकि, जेनेटिक स्टडीज में अलग-अलग नतीजे सामने आए हैं. वहीं दूसरी तरफ, निकोबार द्वीप समूह में मोंगोलॉएड जनजाति रहती है, जिन्हों निकोबारज और शोमपेन्स भी कहते हैं, जो सैकड़ों शताब्दियों से अलग ही रहे हैं.
2011 की जनगणना के मुताबिक, इस एरिया के सेंसस सुपरीटेंडेंट सर रिचर्ड सी टेम्पल ने इन आइलैंड्स में मानव जाति विज्ञान, मानवशास्त्रीय, जनसांख्यिकी, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी है. 18वीं शताब्दी के आखिर में पहली बार ब्रिटिशर्स ने इन आइलैंड्स के लोगों से संपर्क करने की कोशिश की.
इसे भी पढ़े: फ़िल्म ‘ऐसी दीवानगी कहीं देखी नहीं’ का मुहूर्त संपन्न
1901 में इस क्षेत्र में हुई पहली जनगणना में सिर्फ चार द्वीप की जनजातियों की जानकारी ही मिल सकी थी. इनमें सेंटिनल और जरावा शामिल थे, जो घने जंगलों में रहते हैं. इसके अलावा ओंगी और महान अंडमानी हैं, जिन्हें भारत सरकार की तरफ से खाना एवं अन्य मदद मिलती हैं.
इसे भी पढ़े: जाने क्यों खेसारी औरत बन बारातों में करते थे डांस
सेंटिनली
इस जनजाति के लोगों का नाम सेंटिनल द्वीप पर रखा गया है. यह द्वीप पोर्ट ब्लेयर से 102 किलोमीटर दूर है. इस जनजाति का बाहरी लोगों से कोई संपर्क नहीं है. 1991 तक यहां कोई जनगणना नहीं हुई थी. 1901 तक यहां की संभावित जनसंख्या 117 थी और 2001 में 31-39. 2011 की जनगणना में मालूम चला कि यहां सिर्फ 15 लोग बचे हैं, जिनमें 12 पुरुष और 3 महिलाएं हैं.
इसे भी पढ़े: खेसारी ने कहा- मिस करता हूँ किस, जो देकर जाते हो
महान अंडमानी
२०११ की जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 50 है. बताया जाता है कि इससे पहले यहां सैकड़ों की संख्या में लोग रहते थे लेकिन ब्रिटिश सरकार की दखलअंदाजी के कारण इन्हें काफी नुकसान पहुंचा है.
इसे भी पढ़े: दीपवीर की फोटो देख आलिया भट्ट का मुँह खुला रह गया
ओंगी
1961 में यहां की संभावित जनसंख्या 672 थी जो 2011 में सिमटकर 101 तक रह गई है. 2008 में जहरीला पदार्थ मेथनॉल इस जनजाति के आठ लोगों की मौत हो गई थी.
इसे भी पढ़े: अदबी कॉकटेल के 20 वर्ष पूरे होने पर ‘Remembering Nida, Jagjit Singh
जरावा
2011 की जनगणना में इनकी आबादी 380 के करीब थी. बढ़ते टूरिज्म और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के कारण इनपर बड़ा खतरा मंडरा रहा है.