बच्चियों के साथ बढ़ती रेप की घटनाओं पर रोक लगाने के लिये केंद्र सरकार दोषियों के खिलाफ मौत की सजा दिलाने के लिये सरकार अध्यादेश लेकर आ सकती है।
केंद्र सरकार 12 साल तक की लड़कियों के साथ रेप करने वालों के लिये पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव कर फांसी की सजा का प्रावधान कर सकती है।
उन्नाव और कठुआ गैंगरेप की घटना सामने आने के बाद सरकार पर कई सवाल उठने शुरू हो चुके है। इसी बीच केंद्र सरकार ने कानून और सख्त बनाने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।
वर्तमान में पॉक्सो कानून के तहत गंभीर मामलों में आजीवन कारावास तक की सजा का प्रवधान है। इसमें न्यूनतम सजा सात साल की है।
दिसंबर 2012 में हुए निर्भया रेप केस के बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन किया और रेप के बाद महिला की मृत्यु होने की स्थिति में या फिर कोमा जैसी स्थिति में चले जाने पर मौत की सजा का प्रावधान अध्यादेश के जरिये किया गया। जिसे बाद में कानूनी जामा पहना दिया गया।
कानून मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘एक अध्यादेश लाना ऐसी घटनाओं से निपटने के लिये सबसे बेहतर तरीका है। संशोधन के लिये जुलाई तक इंतज़ार करना होगा क्योंकि मानसून सत्र उसी समय होगा।’
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पोक्सो एक्ट में संशोधन की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसमे 0-12 साल की उम्र के बच्चों से बलात्कार करने पर दोषियों को अधिकतम दंड के तौर पर मौत की सज़ा दी जा सके।
इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
कठुआ में एक 8 साल की बच्ची के साथ रेप किया गया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इसी तरह की एक घटना सूरत में भी हुई जिसमें 9 साल की एक बच्ची को क्रिकेट के मैदान में पाया गया और उसके निजी अंगों समेत पूरे शरीर पर 80 से ज्यादा चोट के निशान थे।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इस बच्ची के साथ भी रेप हुआ था और उसके आठ दिन बाद उसकी हत्या कर दी गई।