शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, खेती विरासत मिशन, एसजीटी यूनिवर्सिटी गुरुग्राम, अफॉर्डेबल प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन तथा गांधी दर्शन समिति राजघाट के संयुक्त तत्पावधान में 18-19 दिसंबर को गांधी दर्शन समिति के प्रांगण में श्री अन्न अर्थात मिलेट मेले का विशाल आयोजन किया गया। इस दो दिवसीय वृहद आयोजन में देश भर से प्रख्यात पाक कला विशेषज्ञ श्री रामबाबू महाराज, सर्बजीत कौर पधारे। आयुर्वेद के विशेषज्ञ प्रोफेसर महेश दधीचि, आचार्य मनीष, डॉक्टर पांडे, खेती विरासत मिशन के संयोजक बाबा उमेंद्र दत्त, अफॉर्डेबल प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष लक्ष्य छाबड़िया, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी, गांधी दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष माननीय आदर्श कुमार गोयल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्राध्यापक राजकुमार भाटिया, एकात्म मानव दर्शन के संयोजक प्रख्यात चिंतक महेश चंद शर्मा आदि महानुभाव ने श्रीअन्न के महत्व पर अपने विचार प्रस्तुत किए। भोजन विशेषज्ञों ने मां, ममता और मिलेट पर दिल्ली के विद्यालयों की शिक्षिकाओं, अभिभावक तथा माताओ के लिए दो दिन व्यंजन बनाने की कार्यशालाएं की। विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने सिखाए जैसे ज्वार कंगनी की खीर, रागी का हलवा, बाजरे मक्के की रोटी सरसों चने का साग, बच्चों के लिए श्री अन्न की आइसक्रीम बनाना, इन अनाजों से बने गोलगप्पे, टिक्की चाट को लोगों ने विशेष स्वाद से चखा।
इस अवसर पर दिल्ली एनसीआर के लगभग 2000 विद्यार्थियों ने सहभागिता की। विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं श्रीअन्न को थीम बनाकर आयोजित की गई थी। भाषण, वाद विवाद, निबंध लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता, पत्र प्रस्तुति तथा अनेक विद्यालयों ने नाटक, सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी तथा मिलेट के महत्व को प्रस्तुत किया। विद्वान डॉक्टर, वैद्य, शिक्षकों विशेषज्ञों ने इन नो प्रकार के धन्यों के द्वारा हम किस प्रकार से अपने आप को स्वस्थ रख सकते हैं इसकी जानकारी दी। रामबाबू जी ने बताया कि किस प्रकार से केवल श्रीअन्न के नियमित प्रयोग से हम जीवन भर स्वस्थ, ऊर्जावान, आधि व्याधि, बीमारियों से मुक्त हो सकते हैं।
मेले में किसान चौपाल का आयोजन किया गया। पूर्व केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री हुकुम देव नारायण सिंह, जैविक कृषक मनवीर रेडू, डीडी किसान चैनल के सूत्रधार नरेश सिरोही जी ने खेती किसानी के अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के पर्यावरण विषय के राष्ट्रीय संयोजक संजय स्वामी ने पर्यावरण और श्रीअन्न के महत्व को किसानों को समझाते हुए बताया कि श्रीअन्न के उत्पादन में अर्थात ज्वार बाजरा रागी आदि की खेती में धान गेहूं के तुलना में एक चौथाई से भी कम पानी का उपयोग होता है। अर्थात जिन क्षेत्रों में जल स्तर निम्न है या कम वर्षा होती है उन क्षेत्रों में सहजता से इनकी कृषि की जा सकते हैं साथ ही इन अनाजों की फसल में कीटनाशकों के प्रयोग की भी आवश्यकता नहीं पड़ती।