नई दिल्ली।आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के डीन डा.महेश व्यास ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोग आशंकाएं न पालें लेकिन सतर्क रहें। कोरोना की दो लहरों की तरह ही तीसरी लहर में भी बच्चों के गंभीर संक्रमण का शिकार होने की आशंका कम ही है लेकिन माता-पिता और अभिभावकों को चाहिए कि वो बच्चों पर सुरक्षा घेरा बनाए रखें। साफ सफाई के साथ ही कोविड प्रोटोकोल के तमाम एहतियातों का सख्ती से पालन करें। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों काफी जोर शोर से ये बात कही जा रही है कि कोविड की तीसरी लहर आई तो बच्चों पर उसका कहर सबसे ज्यादा हो सकता है। इसके पीछे तथ्य ये दिया जा रहा है कि पहली लहर ने बुजुर्गों को अपना निशाना बनाया जबकि दूसरी लहर में युवा वर्ग निशाने पर रहा। इन दो लहरों में बच्चे अपेक्षाकृत स्वस्थ्य रहे। डा.महेश व्यास ने कहा कि बच्चों के मजबूत प्राकृतिक रोग प्रतिरोध क्षमता को देखते हुए ये आशंका निर्मूल साबित होगी। बच्चों को कुदरत ही ऐसी क्षमता देती है कि संक्रमण गंभीर नहीं होता लेकिन उसकी उपेक्षा की जाए तो ये बढ़कर गंभीर हो सकता है। इसलिए तीसरी लहर को लेकर लोग आशंकाएं न पालें। लिहाजा सतर्क जरूर रहें लेकिन चिंता न पालें।
आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के डीन डा.महेश व्यास ने यह बात मीडिया एसोसिएशन फार सोशल सर्विस द्धारा कोरोना की तीसरी लहर वैज्ञानिक पूर्वानुमान या आशंका विषय पर आयोजित एक वेबगोष्ठी में कही। इस गोष्ठी में देश विदेश के जाने माने आयुर्वेद और होमियोपैथी के चिकित्सकों और वरिष्ठ पत्रकारों ने भाग लिया। इंग्लैंड के कोविड विशेषज्ञ डा अशोक जयनर ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर का कोई वैज्ञानिक आधार अभी सामने नहीं आया है।क्योंकि कोरोना की दो लहर आ चुकी है और ऐसा माना जाता है कि जब महामारी आती है तो उसकी चार-पांच लहर होती हैं, लेकिन यह जरूरी नहीं है। वैक्सीनेशन कैसा होता है इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। लेकिन तीसरी लहर को लेकर कई लोगों ने कई काल्पनिक आशंकाए अपने आप बना ली हैं। उन्होंने कहा कि इसकी एक वजह यह भी है क्योंकि तीसरी लहर को बच्चों से जोड़ दिया गया है।
आयुष मंत्रालय के मीडिया सलाहकार संजय देव ने कहा कि पहली और दूसरी लहर भी बच्चे संक्रमित हुए हैं लेकिन बच्चे तेजी से ठीक भी हुए।उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने कोरोना को लेकर गाइड लाइन जारी की है और उसी प्रोटोकॉल के तहत योग से लेकर आयुर्वेद और सिद्धा से लेकर होम्योपैथी का उपयोग किया जा रहा है।कोरोना से बचाव और इसकी रोकथाम के इससे सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। वरिष्ठ होमियोपैथी चिकित्सक डा.विशाल चडढा ने कहा कि कोरोना संक्रमण में होम्योपैथी की दवाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं लेकिन उन्होंने कहा कि कोरोना से संबंधित कोई भी दवा चिकित्सक से परार्मश किए बिना नहीं लेनी चाहिए।आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेद के डीन डा.महेश व्यास ने भी कहा कि आयुर्वेद को लेकर भले कोई कुछ भी दावा करे, पर बिना चिकित्सक सलाह के किसी के दावे पर भरोसा न करें। सेवा भारती दिल्ली के महामंत्री सुखदेव भारद्धाज ने बताया कि आयुष मंत्रालय के जरिए सेवा भारती ने बुर्जर्गोे व अन्य लोगों को डाक्टर्स के जरिए परार्मश दिलवाने का काम किया। सेवा भारती ने 66 एंबुलैंस चलाई। कोरोना की चुनौती को देखते हुए सेवा भारती दिल्ली में पांच हजार लोगों को प्रशिक्षत कर रहा है ताकि समाज की आवश्यकता अनुसार मदद की जा सके। मीडिया एसोसिएशन फार सोशल सर्विस द्धारा आयोजित कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार अतुल गंगवार ने किया। उन्होंने कोरोना काल में पत्रकारों सुरक्षा पर अपनी बात रखी। कोरोना और मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुुए डा.विशाल चडढा ने मीडिया से भी अपील की कि ऐसी खबरों को प्रचारित या प्रसारित नहीं करना चाहिए जो बैचानी पैदा करें। उन्होंने कहा कि ऐसे वातावरण में नकारात्मक खबरेंं या सूचनाएं मन को अशांत करती हैं जिसका असर शरीर पर होता है। गलत सूचनाओं के कारण कालाबाजारी होती है। मीडिया की भूमिका सकारात्मक होनी चाहिए हैं। वरिष्ठ पत्रकार मदन जैड़ा ने कहा कि कोरोना बदल रहा है अलग-अलग देशों में इसकी अलग-अलग प्रवृति देखने को मिली है। इसलिए शोध पर अधिक जोर होना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार रवि पाराशर ने कहा कि आयुर्वेद और होमियोपैथी की उपयोगिता के बारे में लोगों को जागरूक करना जरूरी है। उन्होंने मीडिया की सकारात्मक भूमिका पर जोर दिया तो वरिष्ठ पत्रकार मनोज वर्मा ने कोरोना काल में फैक न्यूज और नकारात्मक खबरों की अधिकता पर गहरी चिन्ता प्रकट कीकार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पारिजात कौल और वरिष्ठ पत्रकार रंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार सर्जना शर्मा,अनुराग पुनेठा और मीडिया एसोसिएशन फार सोशल सर्विस के उपाध्यक्ष एंव वरिष्ठ पत्रकार गौरव विवेक भटनागर ने विचार व्यक्त किए।