आज सारा विश्व कोरोना वायरस के प्रकोप से लड़ रहा है। भारत में भी इसका असर दिखाई दे रहा है। हालांकि भारत में सरकार द्वारा सुरक्षा के लिए उठाये गए कदमों के कारण इसका प्रकोप अभी विकराल रूप नहीं ले पाया है, लेकिन ऐसी किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये वायरस ना फैले इसके लिए एहतियातन 21 दिन के देशव्यापी लॉक डाउन की घोषणा की है। तमाम रेल, हवाई यात्रा, क्षेत्रीय यातायात, स्थानीय यातायात, कल-कारखाने, व्यापारिक प्रतिष्ठान सब बंद है। देश के नागरिकों से निवेदन किया गया है 21 दिनों तक अपने घरो में रहें। केन्द्र के साथ तमाम राज्य सरकारों ने भी नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम किए हैं। ऐसे समय में जब सब कुछ बंद है, तब वो लोग जो दो वक्त की रोटी के लिए रोजाना की कमाई पर निर्भर थे उनके सामने संकट खड़ा हो गया है। इनमें से अधिकांश लोगों के पास तो सर छुपाने के लिए छत भी नहीं है। सरकार के पास संसाधन तो हैं लेकिन ऐसे लोगों के पास पहुंचाने के साधन नहीं है। कई संगठन जैसे आर एस एस, सेवा भारती, सिखों के संगठन इस अवसर पर सामने आये हैं। लेकिन जरूरतमंद लोगों की संख्या को देखते हुए फिलहाल ऐसे लोगों की ओर भी जरूरत है। कई सारे लोग व्यक्तिगत तौर पर भी इन लोगों की मदद के लिए सामने आये हैं। ऐसे ही एक युवक हैं मुंबई के नीलोत्पम मृणाल।
नीलोत्पम मृणाल अपनी टीम के साथ रोजाना ऐसे सैंकड़ों लोगो को खाना खिलाने निकल रहें हैं जो लॉक डाउन की वजह से बेरोजगार हैं। उनके सोशल डिस्टेंस फूड बैंक के इस कार्य में भारतीय सेना के जवान भी मदद कर रहें हैं। नीलोत्पम शरीर से दिव्यांग हैं, लेकिन समाज और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता देश के युवाओं के लिए अनुकरणीय है। बिहार से रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंचे नीलोत्पम आज एक सफल व्यवसायी हैं। उनका कहना है कि मुंबई उनकी जन्मभूमि ना सही लेकिन कर्मभूमि है। आज मैं जो भी हूं वह मुंबई की बदौलत हूं। आज वक्त है अपनी कर्मभूमि की सेवा करने का तो मैं पीछे कैसे हट सकता हूं।
नीलोत्पम का जन्म पटना में हुआ। लोयला हाई स्कूल पटना से उन्होंने आरंभिक शिक्षा प्राप्त की। पटना से ही इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की, बाद में मुंबई से एमबीए किया। नीलोत्पम बिहार के उन युवाओं में से हैं जिन्होंने अपनी जन्मभूमि का मान बढ़ाया है। जिया हो बिहार के लाला…
बिहार अपडेट डेस्क