74वें स्वाधीनता दिवस के स्वागत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में लालकिले की प्राचीर से पूरे 86 मिनट तक बोले। अपने भाषण में उन्होंने कोरोना के संकट से निपटने से लेकर भारत की तमाम चुनौतियों और संभावनाओं का ज़िक्र किया। यह जानकारी देकर उन्होंने भारत वासियों को आश्वस्त किया कि कोरोना के अंत के लिए भारत में तीन टीके विकास के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने अपनी सरकार के कामकाज का ब्यौरा देते हुए विश्वास जताया कि भारत तेज़ी से महाशक्ति बनने की राह पर है। प्रधानमंत्री ने कई नए दृष्टिकोण की भी व्याख्या की। चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने आतंकवाद और विस्तारवाद की भर्त्सना करते हुए उन्होंने पड़ोसियों से संबंध और मधुर बनाने की वक़ालत की। उन्होंने कहा कि पड़ोसी वही नहीं होता, जिसके साथ भौगोलिक सीमा जुड़ी होती है, बल्कि वह भी होता है, जिसके साथ दिल का रिश्ता जुड़ा होता है। प्रधानमंत्री ने ऐलान किया कि 15 अगस्त से देश में एक और बहुत बड़ा अभियान शुरू होने जा रहा है। ये है नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन भारत के हेल्थ सेक्टर में नई क्रांति लेकर आएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से जंग लड़ रहे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ़, एंबुलेंस कर्मियों, सफ़ाई कर्मियों और पुलिस कर्मियों का आभार व्यक्त किया और संदेश दिया कि सेवा परमो धर्म: की भावना भारतीय जीनव दर्शन के मूल मंत्रों में से एक है। साथ ही उन्होंने यह संदेश भी दिया कि कोरोना महामारी अपनी जगह है, लेकिन वह भारतीयों की जिजीविषा को ख़त्म नहीं कर सकती। उन्होंने भारतीय नागरिकों के मन में स्वाधीनता के भाव का उल्लेख करते हुए विस्तारवाद की नीति की कड़ी आलोचना की। लेकिन न तो ब्रिटेन का नाम लिया, न ही चीन का। उन्होंने कहा कि भीषण युद्धों और भयानकता के बीच भी भारत ने आज़ादी की जंग में कमी नहीं आने दी। मोदी बोले कि भारत के हर हिस्से ने परतंत्रता के काल में स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया। भारत के लोगों ने आज़ादी हासिल करने के लिए प्राणों की आहुति देने से कभी पीछे नहीं हटे। अगले वर्ष भारत आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करेगा, तो बहुत बड़ा पर्व हमारे सामने है।
भविष्य के सशक्त भारत को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे भाषण में बहुत केंद्रित नज़र आए। उन्होंने सवाल किया कि भारत कच्चे माल का निर्यातक कब तक बना रहेगा? उनके मुताबिक़ भारत कच्चा माल निर्यात करता है और उस माल से बनी बहुत सी वस्तुओं का आयात करता है, तो यह विडंबना की ही स्थिति कही जाएगी। भारत के कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल सुधार पर प्रधानमंत्री ने ज़ोर दिया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए काफ़ी क़दम उठाए हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आज हम सिर्फ़ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों का पेट भर सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश के किसानों को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर देने के लिए कुछ दिन पहले ही एक लाख करोड़ रुपए का एग्रीकल्चर इनफ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है।
आवश्यकता आविष्कार की जननी है। इस सूत्र का अप्रत्यक्ष उल्लेख करते हुए उन्होंने संदेश दिया कि जब ज़रूरत पड़ती है, तब भारत के लोग संकट से निपटने के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन करने में पीछे नहीं रहते। लालकिले की प्राचीर से उन्होंने दोहराया कि कोरोना संकट की शुरुआत में इससे निपटने के लिए हमारे पास बहुत सीमित संसाधन थे, लेकिन अब भारत पूरी तरह सक्षम है। कुछ महीने तक हम एन-95 मास्क, पीपीई किट और वेंटिलेटर विदेश से मंगवाते थे, लेकिन अब भारत न केवल अपनी ज़रूरतें पूरी कर रहा है, बल्कि कई और देशों की मदद के लिए आगे आया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने का अर्थ सिर्फ़ आयात कम करना ही नहीं, बल्कि अपनी क्षमता, क्रिएटिविटी और कौशल को बढ़ाना भी है और भारत इस राह पर तेज़ी से अग्रसर है।
आपदा को अवसर बनाने की सोच रखने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के अभी तक के कार्यकाल की उपलब्धियां तो गिनाई, लेकिन भारतीय नागरिकों की अपार क्षमताओं के द्वार पर पुष्ट दस्तक देने का भी प्रयास किया। उन्होंने कहा कि कौन सोच सकता था कि ग़रीबों के जनधन खातों में हज़ारो-लाखों करोड़ रुपये सीधे ट्रांसफर हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि क़रीब 40 करोड़ जनधन खातों में से 22 करोड़ खाते ग़रीब महिलाओं के खोले गए हैं। डिजिटल लेन-देन की सुविधा बढ़ने का भी उन्होंने ज़िक्र किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले महीने ही करीब-करीब तीन लाख करोड़ रुपये का लेन-देन अकेले भीम एप से हुआ है। उन्होंने बताया कि देश में नई राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति का मसौदा तैयार कर लिया गया है।
उनका ज़ोर था कि ग्रामीण भारत में भी डिजिटल क्रांति का सिलसिला और मज़बूती से आगे बढ़े। जनधन खातों का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने ग़रीब महिलाओं की बेहतरी के लिए काम करने का अपना संकल्प भी दोहराया।
वन नेशन-वन राशन कार्ड, वन नेशन-वन टैक्स जैसी योजनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को विकास की राह पर अग्रसर करने की अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफ़डीआई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत में एफ़डीआई में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इस पर सहज ही विश्वास नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख़ कर रही हैं। मेक इन इंडिया के अपने मूल मंत्र से आगे बढ़ते हुए नरेंद्र मोदी ने आव्हान किया कि भारत को अब मेक फ़ॉर वर्ल्ड के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना है। उन्होंने अपना विज़न स्पष्ट करते हुए कहा कि अब भारत को आधुनिकता की राह पर तेज़ गति से आगे बढ़ने के लिए ओवरऑल इन्फ़्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को नई दिशा देने की ज़रूरत है। बड़ी लागत से देश इस तरफ़ बढ़ रहा है। पूरे देश को मल्टी लेवल कनेक्टिविटी इन्फ़्रास्ट्रक्चर से जोड़ने की ज़रूरत है।
वोकल फ़ॉर लोकल का अपना मंत्र दोहराते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि गांव में ही लोगों को रोज़गार देने के लिए ग़रीब कल्याण रोज़गार अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने माना कि विकास के मामले में देश के कई क्षेत्र पीछे रह गए हैं। उनका विकास हो, इसके लिए देश भर के अति पिछड़े 110 ज़िलों को आकांक्षी ज़िले घोषित किया गया है। वहां शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
मध्यम वर्ग के लोगों के जीवन में ख़ुशहाली लाने के लिए किए गए प्रयासों का भी उल्लेख प्रधानमंत्री ने किया। उन्होंने कहा कि मिडिल क्लास से निकले प्रोफ़ेशनल्स भारत ही नहीं पूरी दुनिया में अपने काम की धाक जमा रहे हैं। उन्होंने माना कि मध्यम वर्ग की उन्नति के लिए उसे सरकारी दख़लंदाज़ी से मुक्ति चाहिए। लोगों की पानी, बिजली और आवास जैसी दूसरी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने की दिशा में उनकी सरकार ने काफ़ी काम किया है। उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है कि जब होम लोन की ईएमआई यानी किस्त पर भुगतान मियाद के दौरान छह लाख रुपये तक की छूट मिल रही है। पिछले साल हज़ारों अधूरे बने पड़े घरों के निर्माण के लिए 25 हज़ार करोड़ रुपये के फंड की स्थापना की गई है।
नई शिक्षा नीति का ज़िक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे आत्मनिर्भर भारत बनाने में बहुत मदद मिलेगी। महिला सशक्तीकरण की ज़रूरत बताते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में जब भी महिलाओं को अवसर मिले हैं, उन्होंने देश का नाम रोशन किया है, देश को मज़बूती दी है। उन्होंने अपने कार्यकाल में महिलाओं को छह महीने के मातृत्व अवकाश का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि आज देश की महिलाएं ज़मीन के नीचे खदानों में काम कर रही हैं, तो आसमान पर भी बुलंदियां छू रही हैं।
पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन करते हुए मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के डंक तोड़े थे। साथ ही अनुच्छेद 35-ए को ख़त्म कर दिया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह साल जम्मू कश्मीर की नई विकास यात्रा का साल है। एक साल जम्मू कश्मीर में महिलाओं, दलितों को मिले अधिकारों का साल है। यह एक जम्मू कश्मीर में शरणार्थियों के गरिमापूर्ण जीवन का भी एक साल है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सच्ची शक्ति स्थानीय इकाइयों में है। हम सभी के लिए गर्व की बात है कि जम्मू-कश्मीर में स्थानीय इकाइयों के जनप्रतिनिधि सक्रियता और संवेदनशीलता के साथ विकास के नए युग को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते वर्ष लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर वहां के लोगों की बरसों पुरानी मांग को पूरा किया गया है। हिमालय की ऊंचाइयों में बसा लद्दाख आज विकास की नई ऊंचाइयां छूने के लिए आगे बढ़ रहा है।
देश की सीमाओं की सुरक्षा हर हाल में सुनिश्चित करने के इरादे जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि एलओसी से लेकर एलएसी तक देश की संप्रभुता पर जिस किसी ने आंख उठाई है, देश की सेना ने उसका उसी भाषा में जवाब दिया है। भारत की संप्रभुता का सम्मान हमारे लिए सर्वोच्च है। इस संकल्प के लिए हमारे वीर जवान क्या कर सकते हैं ,देश क्या कर सकता है, यह लद्दाख में दुनिया ने देखा है। भारत के जितने प्रयास शांति और सौहार्द के लिए हैं, उतनी ही प्रतिबद्धता अपनी सुरक्षा के लिए, अपनी सेना को मजबूत करने की है। भारत अब रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भी पूरी क्षमता से जुट गया है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश की सुरक्षा में हमारे सीमाई और तटीय इंफ्रास्ट्रक्चर की बड़ी भूमिका है। हिमालय की चोटियां हों या हिंद महासागर के द्वीप, आज देश में सड़क और इंटरनेट कनेक्टिविटी का अभूतपूर्व विस्तार हो रहा है। नौजवानों को सीमा सुरक्षा से जोड़ने के मक़सद से एनसीसी का विस्तार देश की 173 सीमाओं और तटीय ज़िलों तक सुनिश्चित किया जाएगा। इस अभियान के तहत करीब एक लाख नए एनसीसी केडेट को ख़ास प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें एक तिहाई बेटियां शामिल होंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी के इस दशक में अब भारत को नई नीति और नई रीति के साथ ही आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की पॉलिसीज़, हमारे प्रोसेस और हमारे प्रोडक्ट, सबसे श्रेष्ठ होने चाहिए, तभी हम एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार कर पाएंगे। कुल मिलाकर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 130 करोड़ भारतीय नागरिकों के मन की बात का विस्तार से ज़िक्र किया। कोई शक़ नहीं कि अगर भारत ये सारे लक्ष्य हासिल करता है, तो वह दोबारा विश्व गुरु ज़रूर बन सकता है।