नई दिल्ली:
बॉलीवुड के बादशाह, किंग ऑफ़ रोमांस, या फिर किंग ख़ान ये कुछ ऐसे टाइटल हैं जो पिछले 24 सालों से फ़िल्म इंडस्ट्री पर राज कर रहे शाहरुख़ ख़ान की पहचान बन चुके हैं 2 नवंबर 1965 को दिल्ली के राजेंद्रनगर में पैदा हुए शाहरुख अब 51 साल के हो चुके हैं लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी इंडस्ट्री पर शाहरुख़ की बादशाहत कायम है। शाहरुख खान ने फिल्मों में आने के बाद अपना नाम बदल लिया था और पहले उनका नाम अब्दुल रहमान था। शाहरुख के बचपन का नाम अब्दुल रहमान ही था जो उनकी नानी ने रखा था लेकिन शाहरुख़ के पिता को ये नाम कुछ ख़ास पसंद नहीं आया और उन्होंने अपनी बहन लालारुख़ के नाम से इंस्पायर होकर बेटे का नाम शाहरुख़ रखा जिसका मतलब है बादशाह जैसा चेहरा होता है।
शाहरुख को नहीं आती थी हिन्दी
शाहरुख़ के कम्युनिकेशन स्टाइल की मिसाल दी जाती है लेकिन आपको शायद ही पता होगा कि स्कूल में शाहरुख़ की हिंदी काफ़ी कमज़ोर थी, शाहरुख के एक्टिंग के शौक को जानते हुए उनकी मां ने उनसे वादा किया था कि अगर वो हिंदी में पास हो जाते हैं तो वो उन्हें फ़िल्म दिखाने ले चलेंगी जिसके बाद शाहरुख ने हिंदी के पेपर में 10 में से 10 नंबर हासिल किया था और तब शाहरुख़ ने अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली फ़िल्म देव आनंद की जोशीला देखी थी।
शाहरुख का लकी चार्म 555
शाहरुख़ ख़ान की हर गाड़ी के नंबर में 555 नंबर ज़रूर होते हैं, 555 को शाहरुख़ अपना लकी चार्म मानते हैं।उनका मानना है कि सही नंबर का चुनाव अच्छी किस्मत के लिए बेहद जरूरी है और 555 उनके लिए अच्छी किस्मत लेकर आता है।
अपनी पहली कमाई से देखा ताजमहल
शाहरुख़ ख़ान दुनिया के सबसे धनी सेलिब्रिटीज़ में से एक हैं। उनकी कुल जायदाद 600 मिलियन डॉलर आंकी गई है लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि उनका पहला मेहनताना महज़ 50 रुपये था जो कि उन्हें 80 के दशक में पंकज उधास के एक कंसर्ट में काम करने के बदले मिला था और इस पैसे से शाहरुख़ आगरा में ताजमहल देखने गए थे।
सीरियल के लिए ठुकराई थी फ़िल्में
शाहरुख़ ने अपने करियर की शुरुआत सीरियल से की थी। फौजी और सरकस सीरियल के ज़रिए बड़े परदे से पहले छोटे परदे के स्टार बन चुके थे शाहरुख़। ये बात तो आमतौर पर सभी जानते हैं लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि सीरियल की वजह से शाहरुख़ ने हेमा मालिनी और हैरी बावेजा का फ़िल्मों में काम करने का ऑफ़र ठुकरा दिया था।
दीवाना कैसे बनी डेब्यू फ़िल्म
टीवी करियर की तरह ही शाहरुख़ के फ़िल्मी करियर की भी शुरुआत हुई। शाहरुख़ ने सबसे पहले हेमा मालिनी की फ़िल्म दिल आशना है।साइन की थी लेकिन फ़िल्म की रिलीज़ में देरी हो गई और शाहरुख़ ने डेब्यू एक्टर के तौर पर दीवाना से बड़े परदे पर तहलका मचा दिया।
क्यों नहीं देखी अपनी पहली फ़िल्म ?
अपनी पहली फ़िल्म में परदे पर खुद को देखने की ललक हर डेब्यू एक्टर को होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि शाहरुख़ ने अपनी पहली फ़िल्म दीवाना कभी नहीं देखी। शाहरुख़ का मानना है कि वो अपनी पहली और आख़िरी क्रिएशंस को कभी नहीं देखना चाहेंगे क्योंकि ये किताब के पहले और आख़िरी चैप्टर की तरह होते हैं जिसके बाद किताब ख़त्म हो जाती है।
दीवाना की कामयाबी से गौरी क्यों हुई दुखीं ?
दीवाना की कामयाबी ने बॉलीवुड को एक नया स्टार दिया । दीवाना और इसके बाद कुछ फ़िल्मों को मिली कामयाबी ने शाहरुख़ को मायानगरी मुंबई का ही बनाकर रख दिया और तब शाहरुख़ की पत्नी को ये बात बेहद बुरी लगी थी। एक इंटरव्यू में गौरी ने कहा कि बॉक्स ऑफिस पर दीवाना की कामयाबी से उन्हें काफी दुख हुआ था क्योंकि वो शाहरुख़ को फिल्मी दुनिया का परमानेंट मेंबर बनते नहीं देखना चाहती थीं।
कैसे शाहरुख़ ने गौरी को किया इंप्रेस ?
शाहरुख़ और गौरी के मोहब्बत की कहानी भी किसी फ़साने से कम नहीं है । शाहरुख़ ने गौरी को अपना दिल उसी दिन दे दिया था
जब उन्होंने पहली बार 1984 में दिल्ली के पंचशील क्लब में चल रही पार्टी में गौरी को देखा था। उस वक्त शाहरुख 19 साल और गौरी 14 की थीं शाहरुख हर उस पार्टी में जरूर जाते थे जहां गौरी होती थी।गौरी को इंप्रेस करने के लिए शाहरुख ‘गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा’ गाना गाया करते थे।
कैसे बने बॉलीवुड के बादशाह ?
शाहरुख़ आज बॉलीवुड के बादशाह ना होते अगर आमिर ख़ान ने फ़िल्म डर ना रिजेक्ट की होती। अगर सलमान ख़ान ने बाज़ीगर रिजेक्ट ना की होती दरअसल डर और बाज़ीगर पहले आमिर और सलमान को ऑफ़र की गई थी लेकिन नेगेटिव कैरेक्टर की वजह से दोनों स्टार्स ने ऑफ़र रिजेक्ट कर दिया जिसे झपटकर शाहरुख़ बॉलीवुड के नए सुपरस्टार बन गए
डीडीएलजे से मिली रोमांटिक हीरो की इमेज
डर और बाज़ीगर से शाहरुख़ की इमेज एंटी हीरो की बन गई थी जिसे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे ने तोड़ा और बॉलीवुड को मिला एक नया रोमांटिक सुपरस्टार। वैसे आपको बता दें कि शाहरुख़ की छवि एक रोमांटिक हीरो की शायद ना बन पाई होती अगर सैफ़ अली ख़ान ने डीडीएलजे का प्रपोजल ठुकराया ना होता। यशराज बैनर ने सबसे पहले राज का रोल सैफ़ अली ख़ान को ही ऑफ़र किया था।
कभी नहीं बेचना चाहेंगे मन्नत
शाहरुख़ के दिल के क़रीब है जुहू में उनका बंगला मन्नत जिसे उन्होंने बड़े जतन से बनवाया है। एक इंटरव्यू में शाहरुख ने कहा कि अपने बुरे वक्त में वो अपना सबकुछ बेचने के लिए तैयार हैं लेकिन मन्नत नहीं जिसमें उन्होंने खासतौर पर इबादत के लिए एक प्रेयर हॉल बनवाया है।
दुखी होने पर सुहाना का साथ पसंद
मन्नत के अलावा शाहरुख़ ख़ुद को अपनी बेटी सुहाना के बेहद क़रीब महसूस करते हैं। सुहाना शाहरुख़ के दिल के कितने करीब है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब भी शाहरूख ज़्यादा दुखी होते हैं तो वे सुहाना के साथ ही वक्त बिताना पसंद करते हैं।
दोस्तों के लिए 26 फ़िल्मों में कैमियो किया
फ़िल्म इंडस्ट्री में शाहरुख़ ख़ान को मोस्ट सेलफ़िश इंसान माना जाता है लेकिन अपने दोस्तों के लिए शाहरुख़ दोस्त पहले हैं और स्टार बाद में….आपको ये जानकर हैरानी होगी कि दोस्ती की ख़ातिर शाहरुख़ ने 26 फ़िल्मों में कैमियो किया है यानि मेहमान भूमिका में नज़र आए हैं….
शाहरुख़ की वो ख़ास आदत
शाहरुख़ की एक आदत है…जिसे वो कभी बदलना नहीं चाहते हैं…और वो आदत है हर रात नए प्रेस किए हुए स्लीपिंग गाउन को पहनकर सोना…क्योंकि शाहरुख़ का मानना है कि कोई नहीं जानता कि सपने में वो किससे मिलने वाला है।
किससे लगता है शाहरुख़ को डर ?
शाहरुख ने बाज़ीगर में भले ही घोड़े की सवारी की लेकिन परदे के बाहर असल जिंदगी में वो कभी भी घोड़े की सवारी करना नहीं चाहते क्योंकि शाहरुख़ को घुड़सवारी से डर लगता है।