पटना/खगौल : सीबीआई की विशेष टीम ने शुक्रवार को दानापुर स्थित पूर्व मध्य रेलवे अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी सह जनरल सर्जन (जीएस) डॉ उमेश कुमार को 20 हजार घूस लेते पकड़ा. हालांकि, डॉ कुमार को जैसे ही पता चला कि वह सीबीआई के ट्रैप में फंस चुके हैं, उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गयी और बेहोश होकर गिर पड़े.
इसके बाद सीबीआई की टीम उनकी गिरफ्तारी छोड़ तीमारदारी में लग गयी. घरवालों को तुरंत बुलाया गया और आनन-फानन में उन्हें उसी रेलवे अस्पताल में भरती कराया गया, जहां के वह जीएस हैं. अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें बायीं तरफ लकवा मार सकता है. इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है. अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ आरके वर्मा ने बताया अभी इलाज चल रहा है. सभी रिपोर्ट देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
हालांकि, सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि उनकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब नहीं है. कोई बेहद गंभीर मामला नहीं है. डॉ कुमार की तबीयत बिगड़ने के कारण सीबीआइ ने फिलहाल उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है और न ही उनसे कोई पूछताछ ही हो पायी है. तबीयत ठीक होने के बाद ही सीबीआइ उनकी गिरफ्तारी व पूछताछ की कार्रवाई करेगा. गौरतलब है कि डॉ उमेश कुमार घूस लेते हुए दूसरी बार सीबीआइ के हत्थे चढ़े हैं. सीबीआइ की टीम ने डॉ कुमार के दानापुर मेडिकल कॉलोनी स्थित आवास की आठ घंटे से ज्यादा समय तक तलाशी ली. इस दौरान संपत्ति के कई कागजात बरामद हुए हैं. लेकिन, इनके बारे में सीबीआइ ने कुछ भी बताने से साफ तौर से इनकार कर दिया है. पूछताछ होने के बाद ही सीबीआइ कुछ भी खुलासा करेगा.
प्राप्त सूचना के अनुसार पाटलिपुत्र स्टेशन पर तैनात डिप्टी एसएस विजय शंकर प्रसाद को मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट बनाना था. विजय की कान में थोड़ी तकलीफ है. इसके आधार पर वह अपनी मेडिकल कैटेगरी सेफ्टी से नॉन सेफ्टी बदलना चाहते थे. इसके लिए ही डॉ कुमार ने 1.50 लाख रुपये की मांग की थी. इसकी सूचना उन्होंने सीबीआइ को दी, जिसके बाद जीएस को घूस लेते हुए पकड़ने के लिए यह कार्रवाई की गयी. डॉ उमेश कुमार घूस के ये रुपये अपने आवास पर सुबह करीब सात बजे ले रहे थे. इसी दौरान टीम ने धावा बोल दिया.
डॉ उमेश इससे पहले मुगलसराय और पूर्व मध्य रेल मुख्यालय हाजीपुर में भी कार्यरत रहे हैं. वह पिछले आठ वर्ष से दानापुर मंडल रेल अस्पताल में पदस्थापित हैं. उनका दानापुर बाजार में एक निजी मकान भी है.