समस्तीपुर : बिहार सरकार की ओर से राज्य में महिलाओं के लिंगभेद को समाप्त और उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के अभियान के बीच सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं और प्रसूताओं की मौत की घटना थमने का नाम नहीं ले रहा है. महिलाओं के कुपोषण दूर करने और उनकी चिकित्सा सुविधा पर सरकार की ओर से हर महीने करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
यह सरकारी अस्पतालों की लचर व्यवस्था और चिकित्सा कर्मचारियों की लारवाही का नतीजा है कि अकेले समस्तीपुर जिले में बीते दो महीने के दौरान करीब 185 नवजात शिशुओं और सात महीने में करीब 55 प्रसूताओं की मौत हो गयी. हालांकि, जिले के स्वास्थ्य सुविधाओं का हर महीने जिलाधिकारी द्वारा समीक्षा भी की जाती है. फिर भी स्वास्थ्य सुविधाओं में कोई सुधार नहीं देखा जा रहा है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों के बीच लगातार हो रही तनातनी का खामियाजा अस्पताल आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि प्रसव के आकंड़ों के अनुसार, समस्तीपुर में जच्चा-बच्चा की मौत का आंकड़ा काफी कम है. सुरक्षित प्रसव को लेकर लगातार एएनसी कार्यक्रम किया जा रहा है. आशा व एएनम को तरह-तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके बावजूद मौत का आंकड़ा कम नहीं है.मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, हाल के दिनों में सदर अस्पताल, कल्याणपुर, पटोरी, खानपुर में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद हंगामा हो चुका है. बताया यह जाता है कि संबंधित अस्पतालों के चिकित्सक अपनी ड्यूटी पर मौजूद नहीं होते. यूं कहें तो ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में रात के समय भगवान भले ही मिल जायें, लेकिन अस्पताल में डॉक्टर का मिलना मुश्किल है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक 11 प्रसूताओं की मौत केवल विभूतिपुर पीएसची में हो चुकी है, जबकि जिले में अप्रैल से अक्टूबर तक लगभग 55 प्रसूताओं की मौत हो चुकी है. इसके अलावा, बिथान में छह, कल्याणपुर व सरायरंजन में चार-चार, पटोरी व सिंघिया में पांच-पांच, समस्तीपुर में सात, उजियारपुर में दो तथा दलसिंहसराय, हसनपुर, खानपुर, मोरवा, विद्यापतिनगर व वारिसनगर में एक-एक प्रसूताओं की मौत हो चुकी है.
अकेले सदर अस्पताल में दो दर्जन से अधिक नवजातों की मौत : प्रसव के दौरान पिछले दो महीने में सर्वाधिक सदर अस्पताल में दो दर्जन से अधिक नवजातों की मौत हो चुकी है, जबकि पूरे जिले में यह आंकड़ा लगभग 185 के आसपास है. मिली जानकारी के अनुसार, विभूतिपुर में 12, बिथान में तीन, दलसिंहसराय व खानपुर में दस, हसनपुर व उजियारपुर में आठ-आठ, मोहनपुर में एक, मोहिउद्दीननगर, सरायरंजन व मोरबा में छह-छह, पटोरी, विद्यापतिनगर व शिवाजीनगर में सात-सात, पूसा में दस, रोसड़ा में पंद्रह, समस्तीपुर ग्रामीण में चार, सिंघिया में नौ, ताजपुर में तेरह और वारिसनगर में चौदह नवजातों की मौत प्रसव के दौरान हो चुकी है.