नयी दिल्ली : शीतकालीन सत्र के पहले दिन राज्यसभा में विपक्ष ने नोटबंदी के मुद्दे को लेकर सरकार पर जबरदस्त हमला बोला और सरकार पर देश में आर्थिक अराजकता फैलाने का आरोप लगाया. यह भी आरोप लगाया कि इस फैसले को कथित रूप से चुनिंदा ढंग से लीक किया गया, जिसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच करायी जानी चाहिए. चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस, जदयू, राजद, सपा, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, वाम व अन्नाद्रमुक ने इस फैसले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया. सदन में चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार सबसे पहले बताये कि काले धन की परिभाषा क्या है. किसान धोती में क्रेडिट कार्ड लेकर नहीं चलता.
उन्होंने कहा कि, आतंकवाद, काला धन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा के मुद्दे पर पूरा सदन एकजुट है, लेकिन प्रधानमंत्री की अचानक की गयी इस घोषणा से देश में आपात स्थिति पैदा हो गयी है. इस कदम से न केवल आर्थिक अराजकता पैदा हुई, बल्कि नकदी से चलनेवाली अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही टूट गयी. हकीकत यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था नकदी के लेन-देन की है. आम आदमी, छोटे व्यापारी, किसान, गृहणियां अपने साथ क्रेडिट कार्ड और चेकबुक ले कर नहीं चलतीं. शर्मा ने पूछा कि जब पीएम ने काले धन की बात कही, तब क्या उन्होंने इस बात को ध्यान में रखा था कि कोई किसान धोती में क्रेडिट या डेबिट कार्ड बांध कर बाजार नहीं जाता है. क्या बाजार में, घरों में, किसानों, मजदूरों, सरकारी कर्मियों के पास काला धन था. सरकार को यह कदम उठाने से पहले कोई समय सीमा बतानी चाहिए थी. सरकार कहती है कि पहले बताने से आतंकियों को, जाली नोट वालों को फायदा होता, लेकिन यह तर्क समझ से परे है.
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि नोटबंदी पर फैसला बिना तैयारी के लिए गया. पूरे देश में ऐसा महसूस हो रहा है जैसे आर्थिक इमरजेंसी लग गयी हो. देश के कोने-कोने में चाहे शहर हो या देहात भारत बंद जैसा माहौल लग रहा है. लोग परेशान हैं, कई लोगों की मौत भी हुई है. अस्पतालों में भी लोगों का बुरा हाल है. किसानों के पास बीज खाद के पैसे नहीं है. लोगों को रोजमर्रा की चीजें खरीदने में दिक्कत आ रही है.