सीवान : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर विशेष अदालत में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन से जुड़े मामलों की सुनवाई चलती रही है. इस बीच सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ही मंडल कारा से पूर्व सांसद को दो दिन पूर्व तिहाड़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया. ऐसे में अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ही मुकदमों की सुनवाई तिहाड़ जेल से होनी है. इसको लेकर जिला प्रशासन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम को युद्ध स्तर पर दुरुस्त करने का कार्य पूरा कर लिया है. अब सुनवाई को लेकर मात्र सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का इंतजार है.
वर्ष 2006 में हाइकोर्ट ने मंडलकारा में विशेष अदालत का गठन करने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ बचाव पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जहां सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए बचाव पक्ष के आवेदन को खारिज करते हुए हाइकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा था. इसके चलते मो. शहाबुद्दीन से जुड़े मामलों की मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में सुनवाई चलती रही. पहली बार सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर अब मो. शहाबुद्दीन को मंडल कारा से दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल में शिफ्ट किया गया है.
ऐसी स्थिति में उनसे संबंधित मामलों की सुनवाई के लिए पूर्व सांसद के हर तिथि को मौजूद हो पाना संभव नहीं हो पायेगा. ऐसे में अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही उनके मुकदमों की सुनवाई तय मानी जा रही है. इसको लेकर पूर्व से ही तैयारी शुरू हो गयी थी. पूर्व में मंडल कारा में रहे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष को दुरुस्त करने का कार्य लोक निर्माण के भवन विभाग द्वारा किया जा रहा था. इसे अब पूरा कर लिया गया है.
उधर, व्यवहार न्यायालय परिसर में भी मौजूद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष को भी दुरुस्त किया गया है. अब दोनों स्थानों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम तैयार हो जाने के बाद तकनीकी जानकारों के मुताबिक मात्र इंटरनेट कनेक्शन लिया जाना शेष है. खास बात यह है कि मो. शहाबुद्दीन के मंडल कारा में मौजूदगी के चलते पूर्व में यहां सुनवाई होती थी. अब तिहाड़ जेल भेजने के बाद पूर्व में जारी आदेश में संशोधन होने के बाद ही कोर्ट में बने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सिस्टम से सुनवाई हो पायेगी.
वहीं, मौजूदा निर्देश के मुताबिक मंडल कारा में ही सुनवाई होनी चाहिए. हालांकि मो.शहाबुद्दीन के यहां से चले जाने के चलते मंडल कारा में सुनवाई संभव नजर नहीं आ रही है. ऐसे में निचली अदालत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का इंतजार है