भारतीय रेलवे और आईआरसीटीसी ने टिकट बुकिंग और और टिकट कैंसिल कराने वाले फॉर्म में महिला और पुरुषों के साथ-साथ ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के तौर पर शामिल कर लिया है. एक वकील के आवेदन पर यह फैसला किया गया. टिकट बुकिंग और कैंसिल कराने के अलावा यह सुविधा ऑनलाइन और ऑफलाइन भी मिलेगी.
दिल्ली हाई कोर्ट ने फरवरी में दिल्ली के एक वकील से अपनी याचिका पर कार्रवाई के लिए रेल मंत्रालय से संपर्क करने को कहा था. मंत्रालय ने शीर्ष न्यायालय के अप्रैल-2014 के निर्देशों के संदर्भ देते हुए बताया कि हिजड़ा, किन्नर और बाइनरी के अधिकारों की रक्षा के लिए अब उन्हें तीसरे लिंग के रूप में माना जाएगा.सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में संविधान के तृतीय भाग और संसद के द्वारा बनाये गए कानून के तहत हिजड़ा और किन्नर के साथ-साथ बाइनरी के अधिकारों की रक्षा के लिए उन्हें तीसरे लिंग के रूप में मान्यता देने का निर्देश दिया था. सर्कुलर में कहा गया कि निर्देशों के तहत टिकट आरक्षण, रद्द कराने के फॉर्म में महिला और पुरुष के साथ-साथ ट्रांसजेंडर का विकल्प भी शामिल करने का निर्णय किया गया है. प्रणाली में यह सूचना दर्ज कर ली जाएगी, जबकि उन्हें पूरी कीमत पर टिकट जारी किया जाएगा.
जमशेद अंसारी नाम के वकील ने हाई कोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका में इसे आईआरसीटीसी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 का उल्लंघन बताया था. अंसारी ने भारतीय रेलवे से शीर्ष न्यायालय के उस निर्णय के पाले की मांग की थी, जिसमें अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता प्रदान करने का निर्देश दिया था.अंसारी ने उन्हें सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के हिसाब से रियायत देने की मांग भी की थी. इसके अलावा उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय की देखभाल एवं अधिकारों की रक्षा के लिए सभी ट्रेनों में विशेष बोगियां एवं आरक्षित सीटें लगाने की भी मांग की थी. मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ ने रेलवे मंत्रालय से याचिका का संज्ञान लेने को कहा था.