पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार से पटना में शुरू पुस्तक मेला में कहा कि यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, लेकिन इसे जनचेतना के संचार का भी माध्यम होना चाहिए. पटना के गांधी मैदान में 23वें वार्षिक पुस्तक मेला का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि पुस्तक मेला एक सांस्कृति कार्यक्रम है. इसके माध्यम से जन चेतना का संचार होता है. उन्होंने कहा कि पटना के गांधी मैदान में पुस्तक मेला का प्रारंभ 1985 में पहली बार किया गया था, तब से लेकर पुस्तक मेला में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है.
नीतीश ने कहा कि बिहार के लोगों की पत्र-पत्रिकाओं और पुस्तकों में दिलचस्पी रही है. यहां के लोग सजग और सक्रिय हैं. यह इस बात का सबूत है कि पुस्तकों के बिक्री के मामले में यह पुस्तक मेला देश में अग्रणी स्थान हासिल किये हुए है. उन्होंने कहा कि देश में आयोजित अन्य पुस्तक मेला की अपेक्षा पटना पुस्तक मेला में पुस्तकों की बिक्री का पहला स्थान रहा है. यहां पुस्तक मेला में बाहर से भी लोग आते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुस्तक मेला जनचेतना के संचार का माध्यम भी होना चाहिए. पुस्तक मेला में बड़े विद्वान इकट्ठा होंगे, उनके बीच वाद-विवाद होगा और संगोष्ठी का आयोजन होगा. उन्होंने कहा कि पुस्तक मेले का एक पक्ष यह भी होना चाहिए कि लोग पुस्तकें पढ़ें, सीखें और पुस्तकों में लिखी गयी बातों की मूल भावना को अंगीकार करें. इससे जनचेतना का प्रसार होगा और बिहार प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा.
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 25वां पुस्तक मेला का आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाये. सरकार के स्तर से जो भी सहयोग की अपेक्षा होगी पूरा किया जायेगा. सरकार और प्रशासन के स्तर से जो किया जाना है, वो किया जाता है. हम इसे अपना धर्म मानकर पूरा करते हैं. पुस्तक मेला का आयोजन सेंटर फॉर रीडरशीप डेवलपमेंट (सीआरडी) की ओर से किया गया है. इस मौके पर सीआरडी संस्था के संस्थापक एनके झा, आयोजन समिति के अध्यक्ष एचएन गुलाटी, समिति के संयोजक अमित कुमार सचिव अमरेंद्र कुमार झा, वरिष्ठ साहित्यकार और कवि सत्यनारायण युवा साहित्यकार रत्नेश्वर के साथ इन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.