दिल्ली: दिल्ली के राजगढ़ कॉलोनी के गीता बाल भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल ने वार्षिक मातृ सम्मेलन का आयोजन किया. 25 फरवरी को हुए इस आयोजन का मकसद बच्चों के अंतर अच्छे संस्कारों का सृजन करना. अच्छे संस्कार परिवार से आते हैं जिसमें माताओं का अहम किरदार होता है क्योंकि वही बच्चे से पहली गुरु होती हैं. इसलिए जरूरी है कि माताओं की शक्तियों को जगाया जाए जिससे वो बच्चों को अच्छे संस्कार दें ताकि वो एक बेहतर नागरिक के तौर पर बड़े हों और समाज और देश की हितों की रक्षा करें. पूर्वी दिल्ली के गांधीनगर के राजगढ़ कॉलोनी स्थित गीता बाल भारती स्कूल में आयोजित मातृ शक्ति कार्यक्रम में करीब आठ सौ महिला अभिभावकों को ये संदेश दिया गया.
ये कार्यक्रम विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की तरफ से आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में बच्चों के विकास में विद्यालय एवं परिवार की भूमिका विषय पर परिचर्चा भी हुई. इसमें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के मंत्री हेमचंद्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षण कार्य के प्रमुख ओम प्रकाश, दिल्ली प्रांत के परिवार प्रबोधन प्रमुख भगवान दास मिढ़ा, ¨हदू शिक्षा समिति न्यास के अध्यक्ष मोहन लाल गुप्ता, न्यास के महामंत्री रामगोपाल अग्रवाल, दिल्ली विश्वविद्यालय की रसायन शास्त्र की प्रोफेसर नमिता गांधी, गीता बाल भारती विद्यालय के अध्यक्ष शिव कुमार गुप्ता, गीता बाल भारती विद्यालय के प्रधानाचार्य राज कुमार शर्मा और मातृ भारती की दिल्ली प्रांत प्रमुख विदुषी शर्मा ने भाग लिया. हेमचंद्र ने मातृ भारती की परिकल्पना पेश करते हुए कहा कि अच्छा परिवार वही होता है जहां त्याग, सेवा, समर्पण, होता है. माताएं अपनी योग्यता, कुशलता एवं प्रतिभा से विद्यालय, समाज एवं देश को लाभांवित कर सकती हैं. भगवान दास मिढ़ा ने अपने संबोधन में कहा कि आज परिवार एकाकी हो गए हैं.ऐसे में सामूहिक भजन, पूजन, भोजन, पारिवारिक वार्तालाप के लिए कम से कम एक सप्ताह में एक घंटे का समय परिवार को जरूर देना और भी जरूरी हो गया है.
डॉ. नमिता गांधी ने अच्छे अभिभावक के गुणों के बारे में बताया. देशप्रेम एक संस्कार है और ये संस्कार बच्चों में शुरू से ही डालना जरूरी है ताकि वो देश के प्रति समर्पित रहें.
कार्यक्रम में ¨हिंदू शिक्षा समिति न्यास के अंतर्गत यमुनापार में चलने वाले पांचों स्कूलों की अभिभावक माताओं ने भाग लिया. कार्यक्रम की खास बात यह रही कि महिला अभिभावकों ने बच्चों के साथ मिलकर देशभक्ति के गीत एवं लोकनृत्य पेश किए. प्रत्येक विद्यालय की एक-एक महिला अभिभावक ने मातृ भारती की परिकल्पना को सबके समक्ष पेश किया. उन्होंने कहा कि मातृ भारती के गठन से हममें आत्मविश्वास बढ़ा है. इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुआ. समापन पर विदुषी शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया.