गोपालगंज (भोरे ) : बिहार में गोपालगंज के भोरे में निजी नर्सिंग होम के डॉक्टर ने नवजात बच्चे की पेट को फाड़ दिया. डॉक्टर पर आरोप लगा है कि बच्चे की पेट को किडनी या उससे मूल्यवान अन्य पार्ट निकालने के लिए फाड़ा गया. पार्ट काम के लायक नहीं हो पाने की स्थिति में उसकी पेट को सील कर परिजनों को थमा दिया गया. जिसे परिजनों ने दफना दिया.
वहीं, एक चश्मदीद के कहने पर जब परिजनों ने बच्चे के शव को कब्र से निकाला, तो पेट फाड़ा हुआ देखा. इसकी जानकारी परिजनों ने तत्काल पुलिस को दी. पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया. फिर शव को कब्र से निकलवा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए गोपालगंज भेज दिया एवं बच्चे के पिता के बयान पर डॉक्टर के विरूद्ध स्थानीय थाने प्राथमिकी दर्ज कर ली.
हालांकि मेडिकल बोर्ड डॉ एसके झा के नेतृत्व में पोस्टमार्टम की. पोस्टमार्टम में नवजात बच्चे की पेट की सभी अंग सही पाये गये. हालांकि किडनी नीचे दबी हुई पायी गयी. आशंका जतायी जा रही है कि बच्चे का पेट खोलने के बाद अंग काम के लायक नहीं हो इसलिए छोड़ दिया गया होगा. इधर, पुलिस मामला दर्ज कर मामले पड़ताल में जुट गयी है.
उधर, पुलिस सूत्रों की मानें तो यूपी के देवरिया जिले के खामपार थाना क्षेत्र के परोहा गांव निवासी रामअवध भारती के पुत्र जितेंद्र कुमार भारती की शादी तीन वर्ष पूर्व भोरे थाना क्षेत्र के भोपतपुरा गांव निवासी सुशील राम की पुत्री प्रिया कुमार के साथ हुई थी. इधर, प्रिया के गर्भवती होने के बाद उसे उसके ससुराल वालों उसके मायके से सटे लालाछापर बाजार स्थित डॉ. एमएम अंसारी के क्लिनिक में भरती कराया.
19 जनवरी को डॉक्टर की सलाह पर यूपी के भाटपार में प्रिया का अल्ट्रासाऊंड कराया गया. उसके बाद 21 जनवरी की रात उसे प्रसव पीड़ा होने पर डॉ. एमएम अंसारी के क्लिनिक में भर्ती कराया गया. रात के लगभग एक बजे अस्पताल कर्मियों द्वारा परिजनों को यह बताया गया कि बच्चा नार्मल पैदा हुआ है. एक घंटे बाद ही डॉ. अंसारी द्वारा बच्चे की मौत होने की बात कही. परिजनों के मुताबिक डॉ. ने बच्चे को एक कपड़े में लपेट कर कार्टन में पैक कर दे दिया. उसके परिजन स्याही नदी के किनारे बच्चे को दफना दिये.
अगले ही दिन 22 जनवरी को परोहा की एक महिला, जो लेबर रूम में मौजूद थी. उसने बताया कि बच्चे का डॉक्टर ने पेट फाड़ दिया है. उसके कहने के बाद परिजनों ने कब्र खोद कर बच्चे का शव निकाला, तो देखा बच्चे का पेट फाड़ा गया है. इधर, जितेंद्र के बयान पर पुलिस ने डॉ. एमएम अंसारी को अभियुक्त बनाते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली है. थानाध्यक्ष गौतम कुमार ने बताया कि पूरे मामले की छानबीन की जा रही है.
वहीं, गोपालगंज में सिविल सर्जन डॉ मधेश्वर प्रसाद शर्मा ने कहा कि नवजात बच्चे की पेट फाड़ने के पीछे डॉक्टर की गलत मंसा थी. पोस्टमार्टम में सभी अंग पाये गये है. लेकिन जिस तरह पेट फाड़ा गया है यह गंभीर जांच का मामला है. पेट फाड़ने के पीछे कुछ न कुछ गड़बड़ है.
इस मामले पर गोपालगंज डीएम राहुल कुमार ने कहा कि भोरे में डॉक्टर के द्वारा नवजात शिशु के अंग निकालने की शिकायत मिली थी. सिविल सर्जन को निर्देश दिया गया कि मेडिकल बोर्ड बैठा कर बच्चे की पोस्टमार्टम कराये. इस मामले में अध्ययन करे की सच्चाई क्या है. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.