मोतिहारी : भारत-नेपाल के सीमावर्ती आदापुर से गिरफ्तार मोती पासवान ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ व आतंकी संगठन सिमी के रिश्तों का खुलासा किया है. पूछताछ में उसने सुरक्षा एजेंसियों को बताया है कि लंबी दूरी की कुछ और ट्रेनों को दुर्घटनाग्रस्त कराने का प्लान था. इस काम के लिए सिमी ने आइएसआइ के इशारे पर अपने 30 आतंकियों को लगाया था. उसने कानपुर रेल हादसे को लेकर भी खुलासे किये हैं. मोती ने जिला पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के समक्ष स्वीकार किया है कि नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरि सहित अन्य के साथ मिल कर उसने कानपुर रेल हादसा को अंजाम दिया था. इस खुलासे के बाद देश की सुरक्षा एजेंसियों ने जांच तेज कर दी है. एनआइए ने घोड़ासहन रेलवे ट्रैक व कानपुर रेल दुर्घटना के केस को हैंडओवर करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा है.
गोरखपुर के सगीर ने कानपुर में लगाये थे बम
मोती पासवान ने खुलासा किया है कि आएसआइ के इशारे पर कानपुर में पटना-इंदौर एक्सप्रेस को बेपटरी करने की योजना बनायी गयी थी. इसके लिए दुबई में बैठे आइएसआइ एजेंट शमशुल होदा ने नेपाल, मोतिहारी व गोरखपुर के कारिंदों को जिम्मेवारी सौंपी थी. प्लान में शामिल लोगों की अलग-अलग ड्यूटी लगायी गयी थी. उसने खुलासा किया है कि कानपुर रेल हादसे में गोरखपुर का सगीर अंसारी नामक युवक भी शामिल था. उसने सगीर की पहचान भी बतायी है. कहा है कि उसकी मूंछ नहीं, लेकिन बड़ी-बड़ी दाढ़ी थी. सागीर ने ही गोरखपुर में हमलोगों को बम उपलब्ध कराया था.
दहशतगर्दी का सामान ढोता था मोती
पूछताछ में मोती ने खुलासा किया है कि उसका, राकेश व गजेंद्र का काम सिर्फ दहशतगर्दी का समान ढोना था. रेलवे ट्रैक पर बम सेटिंग व विस्फोट कराने का काम ब्रजकिशोर, गोरखपुर के सगीर अंसारी व तीन नेपाली युवकों ने किया. पहली घटना के 15 दिन बाद ब्रजकिशोर फिर इनलोगों को बुला कर कानपुर ले गया. कानपुर से 60-70 किलोमीटर पहले उनलोगों ने रेलवे ट्रैक पर बम की सेटिंग की. उसने शमशुल को आइएसआइ का एजेंट बताते हुए खुलासा किया है कि वह भारत-नेपाल के सीमाई इलाकों में ब्रजकिशोर गिरि के माध्यम से स्लीपर सेल को मजबूत कर रहा है.
तीनों को भेजा जेल
छह दिनों के रिमांड पर लिये गये मोती पासवान, मुकेश कुमार व उमाशंकर पटेल को पूछताछ के बाद सोमवार को जेल भेज दिया गया. इससे पहले रविवार की शाम तीनों आरोपितों को जिला पुलिस व सुरक्षा एजेंसी के अधिकारी घोड़ासहन लेकर गये. वहां घटनास्थल का मुआयना किया. वहीं तीनों आरोपितों ने घटनास्थल व वहां तक आने-जाने के रास्तों की पहचान करायी. इसके अलावा फरार गजेंद्र शर्मा के स्टूडियो को आरोपितों ने सुरक्षा अधिकारियों को दिखाया. उसके बाद तीनों के स्वीकारोक्ति बयान के एक-एक पहलुओं की जांच-पड़ताल शुरू कर दी गयी है.