शादी में होने वाले खर्च को कम करने और अन्तरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए बिहार के मुजफ्फरपुर में शनिवार को अनोखी शादी हुई और शादी का गवाह बनने के लिये एक साथ मौजूद थे दो-दो अधिकारी.
दरअसल बिहार के दो अलग-अलग जेलों की कमान संभालने वाले अफसरों यानि जेल अधीक्षकों ने जीवन की डोर में बंधने का निर्णय लिया और मुजफ्फरपुर में बड़ी सादगी के साथ कैशलेस शादी की. दोनों अधिकारियों ने शादी के ताम-झाम से दूर सादगीपूर्ण तरीके से कोर्ट में अपनी शादी संपन्न करायी.
पिछले चार सालों से एक-दूसरे को जानने वाले इस जोड़े ने बिना दहेज की शादी कर जाति बंधन को मिटाने के लिए अन्तरजातीय विवाह को जरूरी बताया. मुजफ्फरपुर के नगर थाना क्षेत्र के रहने वाले संदीप कुमार और पटना के गर्दनीबाग की रहने वाली ज्ञानिता गौरव शनिवार को एक-दूसरे को हो गये. संदीप कुमार गोपालगंज के जेल अधीक्षक हैं जबकि ज्ञानिता गौरव शेखपुरा की जेल अधीक्षक.
2013 बैच के दोनों अधिकारियों की प्रशिक्षण के दौरान ही मुलाकात और फिर एक दूसरे से नजदीकी हुई. चार सालों से चल रहे प्रेम-प्रसंग के बाद अब दोनों कानूनी तौर पर एक-दूसरे के हो गये. शादी में होने वाले बेतहाशा खर्च और आडंबर को पसंद नहीं करने वाले इस जोड़े ने बिना दहेज की शादी की.
दोनों ने एक महीने पहले ही मुजफ्फरपुर के निबंधन कार्यालय में शादी के लिए आवेदन दिया और आपसी राजमंदी से परिवार वालों के बीच शादी की. संदीप और ज्ञानिता अलग-अलग जाति बिरादरी से आते हैं लेकिन शादी के जरिये समाज में व्याप्त जाति के बंधन को तोड़ने की भी कोशिश की है.
दोनों ने शादी के पहले की मुलाकतों में ही फैसला लिया था कि बिना दहेज के सादगीपूर्ण तरीके से शादी होगी और सरकार की तरफ से अन्तरजातीय विवाह के लिए मिलने वाले रकम को वैसे गरीबों में बांटा जाएगा जो अन्तरजातीय विवाह करेंगे.
इस शादी की एक और खासियत यह रही कि निबंधन कार्यालय में शादी के लगने वाले 400 रूपये के शुल्क को दोनों ने कैशलेस तरीके से भुगतान किया. शादी के मौके पर एक-दूसरे के कबूलनामा के साथ ही मंत्रोच्चारण भी हुआ और मिठाईयां भी बांटी गई. निबंधन कार्यालय परिसर में इस खास शादी के लिए लोगों की भीड़ भी जुटी. घरवालों ने भी अपने बच्चों के फैसले की सराहना की और सादगीपूर्ण ढ़ंग से ही रविवार को रिसेप्शन करने का फैसला लिया.