पद्म पुरस्कारों की घोषणा: झारखंड के कलाकार मुकुंद नायक व पत्रकार बलबीर दत्त को पद्मश्री सम्मान

नयी दिल्ली/रांची
कला के क्षेत्र में झारखंड के मुकुंद नायक और साहित्य व पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने के लिए बलबीर दत्त को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गयी है. सिमडेगा के कोलेबिरा में जन्मे मुकुंद नायक ने लोकनृत्य झूमर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी. उन्होंने कभी इसकी ट्रेनिंग नहीं ली, बल्कि गांव के ही अखरा से इस कला को सीखा. गांव की मिट्टी में बने अखरा में नाचा और गाया. पाकिस्तान की रावलपिंडी में जन्मे बलबीर दत्त का परिवार विभाजन के समय रांची आ गया था. बलबीर दत्त ने रांची से ही पत्रकारिता की शुरुआत की. उन्होंने साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में कई कीर्तिमान बनाये. कई अखबारों का संपादन किया है.
निरंजनानंद सरस्वती को पद्म भूषण : पद्म पुरस्कारों के लिए 89 नामों को मंजूरी दी गयी है. पद्म विभूषण व पद्म भूषण के लिए सात-सात व पद्म श्री के लिए 75 नामों की घोषणा की गयी है. पेंटिंग के क्षेत्र में योगदान के लिए बिहार की बोवा देवी को पद्मश्री व योग के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए बिहार के निरंजनानंद सरस्वती को पद्म भूषण सम्मान से नवाजा जायेगा. भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, भाजपा के वरिष्ठ नेता दिवंगत सुंदरलाल पटवा और पूर्व स्पीकर पीए संगमा को सार्वजनिक जीवन में योगदान देने के लिए पद्म विभूषण पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. इनके अलावा गायक के येसुदास, धार्मिक गुरु जग्गी वासुदेव और विज्ञान के क्षेत्र में यूआर राव को भी पद्म विभूषण से नवाजा जायेगा.
मालूम हो कि पद्म सम्मान की तीन श्रेणियां होती हैं- पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री. कला, संगीत, सामाजिक कार्य, साइंस एवं इंजीनियरिंग, उद्योग एवं व्यापार, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, नागरिक प्रशासन, विज्ञान के क्षेत्र में अहम योगदान देनेवालों को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है. ये पुरस्कार राष्ट्रपति द्वारा मार्च-अप्रैल महीने में राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाले समारोह में दिये जाते हैं, लेकिन नामों की घोषणा गणतंत्र दिवस के मौके पर की जाती है.

पद्म विभूषण
गायक केजे यसुदास, सद्गुरु जग्गी वसुदेव, राकांपा प्रमुख शरद पवार, भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी , प्रो उडिपी रामचंद्रराव, , सुंदरलाल पटवा (मरणोपरांत) और पीए संगमा (मरणोपरांत).
पद्मभूषण
योग क्षेत्र में स्वामी निरंजनानंद, विश्वमोहन भट्ट, डाॅक्टर देवी प्रसाद, चिकित्सा में तेहेम्टॉन उडवाडिया, रत्न सुंदर महाराज, थाईलैंड की राजकुमारी महा चकरी सिरिनधोर्न और सी रामास्वामी (मरणोपरांत).

पद्मश्री पुरस्कार
खेल क्षेत्र: कप्तान विराट कोहली , पहलवान साक्षी मलिक, परालम्पियन मरियाप्पन थंगावेलू व दीपा मलिक, जिम्नास्ट दीपा करमाकर, भारतीय हाॅकी कप्तान पीआर श्रीजेश, चक्का फेंक खिलाड़ी विकास गौड़ा और दृष्टि बाधित क्रिकेट टीम के कप्तान शेखर नाइक.
कला व संगीत, थियेटर : बसंती बिष्ट, टीके मूर्ति, एल वीरेंद्र कुमार सिंह, कृष्ण राम चौधरी, जितेंद्र हरिपाल, कैलाश खेर, परासाला बी पोन्नामल, सुकरी बोम्मागौडा, मुकुंद नायक, पुरुषोत्तम उपाध्याय, अनुराधा पौडवाल, कला व नृत्य के क्षेत्र में सी कुन्हीरमन नायर, अरुणा मोहंती, अमेरिकी एनआरआइ इमरत खान, भारती विष्णुवर्द्धन, सादु मेहर, बाओआ देवी, तिलक जिताई, प्रो एइक्का यदागिरि राव, वारेप्पा नाबा नील.

शिक्षा, साहित्य व पत्रकारिता : बिरखा बहादुर लिम्बो मुरिंगला, इली अहमद, डाॅ नरेंद्र कोहली, प्रो जी वेंकट सुबैया, एक्किथम अच्यूतन नम्बूदरी, काशी नाथ पंडिता, चामू कृष्णा शास्त्री, हरिहर कृपालु त्रिपाठी, मिशेल दानिनो, पुनम सूरी, बीजी पटेल, वी कोटेश्वराम्मा, बलवीर दत्त, भावना सोमैया और विष्णु पांड्या, अमेरिकी एनआरआइ अनंत अग्रवाल व एचआर शाह.

चिकित्सा : डाॅ सुब्रोतो दास, डाॅ भक्ति यादव, डाॅ मोहम्मद अब्दुल वाहीद, डाॅ मदन माधव गोडबोले, डाॅ देवेंद्र दयाभाई पटेल, प्रो हरिकिशन सिंह, डाॅ मुकुट मिंज, एड्स कार्यकर्ता सुनीति सोलोमन(मरणोपरांत) .

सामाजिक कार्य : दारिपल्ली रामैया, गिरीश भारद्वाज, करिमुल हक, विपिन गनात्रा, निवेदिता रघुनाथ भिडे, अप्पासाहेग धर्माधिकारी, बाबा बलवीर सिंह सिचावाल, अनुराधा कोईराला (नेपाल), डाॅ मापुस्कार (मरणोपरांत)

अन्य क्षेत्र : व्यंजन के क्षेत्र में संजीव कपूर, मार्शल आर्ट्स के क्षेत्र में मीनाक्षी अम्मा, कृषि में गेनाभाई दरगाभाई पटेल , विज्ञान व इंजीनियरिंग में चंद्रकांत पिठावा, प्रो अजय कुमार रे, चिंताकिंडी मालेशान, जितेंद्र नाथ गोस्वामी, कारोबार व उद्योग में मोहन रेड्डी वेंकटरामा, पुरातत्व के क्षेत्र में योगदान के लिए अशोक कुमार भट्टाचार्य (मरणोपरांत) और लोक सेवा में त्रिपुरानेनी हनुमन चौधरी, टीके विश्वनाथन, कंवल सिब्बल .

पत्रकार बलबीर दत्त बाेले
यह झारखंड का सम्मान है
प्रख्यात पत्रकार बलबीर दत्त ने पद्मश्री मिलने की घाेषणा के बाद प्रभात खबर से बातचीत करते हुए कहा कि यह न सिर्फ उनका सम्मान है, बल्कि पूरे झारखंड का सम्मान है. श्री दत्त अभी केरल में हैं. बुधवार सुबह ही उन्हेें यह सम्मान मिलने की सूचना गृह मंत्रालय से मिली. यह पूछे जाने पर कि कैसा लग रहा है, उन्हाेंने कहा : इससे हमारा राज्य गाैरवान्वित हुआ है. उन्हाेंने कहा कि झारखंड काे पूरे देश में सबसे उपेक्षित माना जाता है. इसे लाेग महत्व नहीं देते हैं. यहां हर क्षेत्र में प्रतिभाएं भरी पड़ी हुई हैं. इस सम्मान से फर्क पड़ेगा. यह सम्मान यहां की प्रतिभा का सम्मान है. यहां की पत्रकारिता का सम्मान है.

झूमर कलाकार मुकुंद नायक बाेले मुझे नहीं, कला को सम्मान
पद्मश्री पुरस्कार की घोषणा के बाद मुकुंद नायक ने कहा : यह सम्मान मुझे नहीं मिला है, यह तो झारखंड की कला और यहां के कलाकारों का सम्मान है. जब मैंने इस क्षेत्र को चुना तो सोचा भी नहीं था कि मुझे कभी ऐसा सम्मान मिलेगा. आज मुझे जो सम्मान मिला है, यह केवल अखरा संस्कृति की बदौलत है. लेकिन एक बात अवश्य कहना चाहूंगा कि आज यह अखरा संस्कृति मर रही है. जिन युवाओं को इन्हें बचाए रखना चाहिए, वही आज इससे दूर होते जा रहे हैं. अगर हमारी कला-संस्कृति नहीं रही, तो फिर झारखंड की मिट्टी कभी दूसरा रामदयाल मुंडा नहीं दे पायेगी.

पत्रकार बलबीर दत्त का परिचय
जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत स्थित रावलपिंडी में हुआ था
शिक्षा रावलपिंडी, देहरादून, अंबाला छावनी और रांची में हुई
रांची से पत्रकारिता शुरू की. कई समाचार पत्रों का संपादन किया
अब तक इनके 8500 से अधिक संपादकीय लेखों, निबंधों और टिप्पणियों का प्रकाशन हो चुका है
राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान, झारखंड सरकार द्वारा लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड व झारखंड गौरव सम्मान मिल चुका है.

वरिष्ठ पत्रकार बलवीर दत्त और राज्य के प्रसिद्ध लोक कलाकार मुकुंद नायक को पद्मश्री सम्मान के लिए चयन पर बधाई. आपके चयन से झारखंड गौरवान्वित हुआ है.
रघुवर दास, मुख्यमंत्री

मुकुंद नायक का परिचय
जन्म सिमडेगा के कोलेबिरा थाना के ओकवा गांव में 15 अक्तूबर 1949 को हुआ
झारखंड के लोकनृत्य झूमर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलायी. इसे एशिया, यूरोप व अफ्रीका के कई देशों तक पहुंचाया.
मुकुंद नायक ने झूमर की कहीं ट्रेनिंग नहीं ली, बल्कि गांव के अखरा से ही इस कला का सीखा
उन्होंने टाटा कॉलेज से बीएससी तक की पढ़ाई
कृषक परिवार में जन्मे छह भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं

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