नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी का एलान करने के बाद देश के काला कारोबारियों, सूदखोरों, आतंकवादियों, रियल एस्टेट के धुरंधरों और आतंकवादियों के ही होश फाख्ता नहीं हुए हैं, बल्कि बिहार-झारखंड समेत उग्रवाद प्रभावित इलाकों के नक्सलियों के भी तोते उड़े हुए हैं. हवाला, लेवी और फिरौती के जरिये अकूत नोट जमाकर तबाही मचाने वाले उग्रवादी संगठनों के सामने अब करोड़ों रुपये के पांच सौ और हजार रुपये को खपाना भारी पड़ गया है. इन उग्रवादी संगठनों ने हथियार खरीदने और अपनी योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाने के लिए जितने नोट जमा कर रखे थे, अब वे भी नोट बेकार हो चुके हैं. खुफिया जानकारियां यह भी मिल रही हैं कि माओवादी बैंक या नकदी ले जाने वाली गाड़ियों (कैश वैन) को अपना निशाना बनाकर मोटी रकम की बरबादी को रोकने का प्रयास कर सकते हैं.
मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, बेकार हो चुके इन नोटों को बैंकों से भुनाने के लिए बिहार-झारखंड समेत अन्य उग्रवाद प्रभावित इलाकों में नक्सली संगठन भोले-भाले ग्रामीणों को डरा-धमका कर बैंकों तक भेजने का भी काम कर रहे हैं, लेकिन मंगलवार को सरकार की ओर से बैंकों से पैसे की निकासी अथवा नोट बदलवाने के समय अंगुली पर स्याही लगाने के फरमान जारी करने के बाद इन उग्रवादी संगठनों में खलबली मची है.
सूत्रों की मानें, तो उग्रवाद प्रभावित इलाके में नक्सली संगठनों द्वारा हवाला, लेवी और फिरौती से जो भी रकम आती थी, वह पांच सौ और हजार रुपये के बड़े नोटों के रूप में ही आती थी. अब पुराने बड़े नोटों के चलन पर रोक लगने के बाद एक तो उनके पास नकदी का संकट छा गया है. दूसरे बिहार-झारखंड के माओवादियों ने फिरौती और लेवी से जितनी रकम वसूली थी, उसे भुनाने में उनके पसीने छूट रहे हैं.
खुफिया एजेंसियों के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, देशभर में नोटबंदी का माओवादियों समेत अन्य उग्रवादी संगठनों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा है. उनके पास मोटी रकम आने का रास्ता लगभग बंद हो गया है. बिहार-झारखंड के सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच जो बातचीत पकड़ी गयी है, उससे पता चलता है कि उनमें ढेर लगा कर रखी गयी नकदी के बरबाद होने का खौफ बना हुआ है. उनके पास मोटी रकम के रूप में यह नकदी लेवी और फिरौती से आयी है.
वहीं, खबर यह भी है कि सरकारी एजेंसियों ने उग्रवाद प्रभावित इलाकों में नकदी के प्रवाह पर कड़ी नजर रखना शुरू कर दिया है.