नयी दिल्ली : नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत ने निजात जनवरी 2017 के मध्य या अंत तक ही हो पायेगा. इसके साथ ही भविष्य में सरकार डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए कैश ट्रांजेक्शन पर टैक्स भी लगा सकती है. ये कहना है नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का. कांत ने कहा कि करीब 12 लाख करोड़ रुपये की करंसी बाजार तक पहुंचने में समय लगेगा और इसके बाद ही कैश की किल्लत से छुटकारा मिल पायेगा.
श्री कांत ने सरकार के डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की बात का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार कैशलेस ट्रांजैक्शन पर जोर दे रही है और हो सकता है कि भविष्य में कैश पेमेंट पर टैक्स भी लग जाए. नीति आयोग के सीईओ ने बताया कि सरकार डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए कैश ट्रांजैक्शन पर सेस लगाने पर भी विचार कर रही है. यही वजह है कि सरकार चाहती है कि ज्यादातर पेमेंट कैशलेस हो. डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह की योजनाओं पर अगले कुछ महीनों में 340 करोड़ रुपये तक खर्च करने जा रही है.
कांत ने जोर देते हुए कहा कि देश के 7.5 फीसदी की विकास दर को बनाये रखने के लिए डिजिटाइजेशन महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत उस स्थिति में नहीं है कि वो नकदी के ट्रांजेक्शन से एक समानान्तर अर्थव्यवस्था को चला सके. कांत ने कहा कि भारत एकलौता ऐसा देश है जहां 100 करोड़ से ज्यादा लोग बायोमैट्रिक आधारित आईडी-प्रूफ से जुड़े हुए हैं. यह भारत के लिए सकारात्मक है.
एफआईसीसीआई की सालाना आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद सभी तरह के डिजिटल ट्रांजैक्शन में कई गुना इजाफा हुआ है. कांत ने कहा, ‘पहले डिजिटल ट्रांजैक्शन पर 1.5 से 2 प्रतिशत का चार्ज लगता था, तब ऐसे ट्रांजैक्शन बहुत कम होते थे. अब ऐसे ट्रांजैक्शन बढ़ चुके हैं, क्योंकि उसपर लगने वले चार्ज कम कर दिये गये या हटा दिये गये हैं.
कांत ने कहा 8 नवंबर के बाद से रुपे से ट्रांजैक्शन में 316 फीसदी इजाफा हुआ है. ई-वॉलिट्स से 271 प्रतिशत, यूपीआई से 119 प्रतिशत, यूएसएसडी से 1,202 प्रतिशत और पीओएस (पॉइंट ऑफ सेल) से ट्रांजैक्शन में 95 फीसदी का इजाफा हुआ है. अब डिजिटल ट्रांजैक्शन में बढ़ोतरी हुई है इसलिए इस पर बहुत कम चार्ज लगेगा। मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) में कमी आएगी.’