रांची/पटना : 1000 और 500 के नोट बंद होने से भाकपा माओवादी के नक्सलियों और टीपीसी, पीएलएफआइ,जेपीसी व जेजेएमपी जैसे उग्रवादी संगठनों के करीब 500 करोड़ रुपये डूब जायेंगे. खुफिया एजेंसियों को उम्मीद है कि केंद्र सरकार के इस कदम से नक्सली-उग्रवादी संगठनों की आर्थिक स्थिति कमजोर होगी. लेवी के रूप में वसूले गये अधिकांश रुपये छिपा कर रखे गये हैं, जो अब बेकार हो जायेंगे. अनुमान है कि बिहार-झारखंड में सक्रिय नक्सलियों और उग्रवादियों द्वारा 500 करोड़ से अधिक रुपये के नोट छिपा कर रखे गये हैं.
सूत्रों के मुताबिक राज्य में सक्रिय नक्सलियों व उग्रवादियों द्वारा विकास योजनाओं से हर साल करीब 90 करोड़ रुपये की वसूली की जाती है. करीब 20 करोड़ रुपये की लेवी की वसूली आयरन और कोयला क्षेत्र से की जाती है. जानकारी के मुताबिक, टंडवा-पिपरवार इलाके में ट्रांसपोर्टरों से टीपीसी के उग्रवादी हर माह करीब आठ करोड़ रुपये की वसूली करते हैं. इस तरह सालभर में करीब 90 करोड़ की वसूली इस इलाके से टीपीसी के नक्सली करते हैं. उल्लेखनीय है कि पिछले साल चतरा पुलिस ने टीपीसी उग्रवादियों के ठिकाने से 3.69 करोड़ रुपये बरामद किये थे. इसी तरह भाकपा माओवादी के नक्सली राज्य भर में विकास योजनाओं और चाईबासा के आयरन ओर कारोबारियों से लेवी की वसूली करते हैं. जो राशि खर्च नहीं हो पाती है, उसे छिपा कर रख दिया जाता है. पिछले तीन साल में पुलिस ने माओवादियों के ठिकानों से ढाई करोड़ रुपये से अधिक की बरामदगी की है. इसी तरह खूंटी, गुमला, सिमडेगा और चाईबासा में पीएलएफआई और गुमला, लातेहार व पलामू में जेजेएमपी के उग्रवादी भी लेवी की वसूली करते हैं.
बोरा में रुपये भर कर होटल खरीदने गये थे : वर्ष 2014 में खुफिया एजेंसियों को पता चला था कि टीपीसी से कुछ उग्रवादी रायपुर में एक होटल खरीदने गये थे. होटल की कीमत चुकाने के लिए उग्रवादी व उनके लोग बोरा में रुपये भर कर ले गये थे, जिसे देखने के बाद होटल मालिक ने सौदा करने से इनकार कर दिया था. होटल मालिक ने उग्रवादियों से कहा था कि वह होटल की कीमत का भुगतान चेक या ड्राफ्ट के जरिये ही लेंगे. नकद में भुगतान नहीं लेंगे. इसके बाद सभी लोग लौट आये थे.
कारोबारियों से साध रहे संपर्क
झारखंड में सक्रिय नक्सली व उग्रवादी 500 व 1000 के नोट को बदलने के लिए ठेकेदार, ट्रांसपोर्टर और बड़े कारोबारियों से संपर्क साध रहे हैं. पुलिस तक सूचना पहुंची है कि वे एक-दो दिनों में लेवी के रूप में वसूली गयी राशि को अपने ठिकानों से निकाल कर व्यवसायियों तक पहुंचायेंगे, ताकि उन नोटों को बदला जा सके. चतरा में सक्रिय उग्रवादियों ने कुछ ट्रांसपोर्टरों पर दबाव बनाया है कि पुराने नोट ले लें. एक-दो माह बाद 2000 के नये नोट पहुंचा दें.