नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देने वालों पर किसका नियंत्रण होगा, केंद्र या राज्य का, इस पर सहमति न बन पाने पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को इस विवादास्पद मुद्दे के समाधान के लिए राजनीतिक सहयोग का आह्वान किया। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर 20 नवंबर को एक अनौपचारिक बैठक बुलाई है। एक दिन पहले ही अखिल भारतीय वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था के लिए एक महत्वूर्ण निर्णय लिया गया, जिसमें जीएसटी परिषद ने एक चार स्तरीय कर दर के बारे में फैसला किया। लेकिन बैठक के दूसरे दिन दोहरे नियंत्रण (क्रॉस इंपॉवरमेंट) पर फैसला लेने में अनिर्णय की स्थिति सामने आई।
जेटली ने बैठक के बाद कहा कि यह (क्रॉस इंपॉवरमेंट) एक प्रमुख मुद्दा है, इसकी चर्चा तीसरी बैठक में भी हुई। इस पर निर्णय नहीं हो पाया और चर्चा शुक्रवार को पूरे दिन चलती रही। उन्होंने कहा कि कार्यात्मक तौर पर आप एक ही करदाता के लिए प्रतिस्पर्धा में दो अधिकारियों को नहीं रख सकते। इस स्थिति से बचना होगा। इसके लिए साफ तौर पर एक स्पष्ट दिशा-निर्देश परिभाषित होनी चाहिए कि कौन किसका आकलन करेगा। इस पर राजनीतिक नेतृत्व परिषद में अनौपचारिक तौर पर बगैर सहयोगियों या अधिकारियों के चर्चा करेगा।