कोयंबटूर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाशिवरात्रि के पावन मौके पर भगवान शिव की 112 फुट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया . कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में आदियोगी शिव की प्रतिमा का अनावरण करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत ने योग का तोहफा पूरी दुनिया को दिया है. इसके माध्यम से एकता का संचार हुआ. नये योजना को सिर्फ इसलिए अस्वीकार कर देना कि वह पुरानी है यह नुकसान पहुंचा सकता है. आज पूरी दुनिया शांति चाहती है न सिर्फ युद्ध से बल्कि तनाव से भी.
धरती के इस सबसे विशाल चेहरे की प्रतिष्ठा मानवता को आदियोगी शिव के अनुपम योगदान के सम्मान में की गयी है. खास बात यह है कि 23 सैटेलाइट टेलीविजन चैनलों और अनेकों ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर 5 करोड़ से अधिक लोगों के लिए 7 भाषाओं में एक साथ प्रसारित किया गया . उन्होंने कहा कि यह प्रतिष्ठित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिये अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है. इस भव्य चेहरे का डिजाइन और प्राण-प्रतिष्ठा ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने की है.
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने अपने आधिकारिक अतुल्य भारत अभियान में इस भव्य चेहरे की प्राण-प्रतिष्ठा को एक गंतव्य स्थल के रूप में शामिल किया है. चेहरे के डिजाइन को तैयार करने के लिए करीब ढाई साल लगे और ईशा फाउंडेशन की टीम ने इसे 8 महीने में पूरा किया. इस प्रतिमा को स्टील से बनाया गया है और धातु के टुकड़ों को जोड़कर इसे तैयार किया गया है. आज से पहले इस तकनीक का कही प्रयोग नहीं किया गया है. वहीं, नंदी को भी बड़े खास तरीके से तैयार किया गया है.
धातु के 6 से 9 इंच बड़े टुकड़ों को जोड़कर नंदी का ऊपरी हिस्सा तैयार किया गया है. इसके अंदर तिल के बीज, हल्दी, पवित्र भस्म, विभूति, कुछ खास तरह के तेल, थोड़ी रेत, कुछ अलग तरह की मिट्टी भरी गयी. इसके अंदर 20 टन सामग्री भरी गयी है और फिर उसे सील कर दिया गया. यह पूरा मिश्रण एक खास तरह से तैयार किया गया है.