पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के पेपर लीक मामले में गुरुवार को पकड़े गये रैकेट में पटना के एवीएन स्कूल का निदेशक रामाशीष सिंह अकेले नहीं है, बल्कि उसके साथ तीन-चार विधायक और कुछ अन्य रसूखदार भी शामिल हैं. इन विधायकों में दो पटना और एक औरंगाबाद जिले के हैं और अलग-अलग दलों से ताल्लुक रखते हैं. जांच में यह बात सामने आयी है कि इन सफेदपोश लोगों के भी तीन दर्जन से ज्यादा कैंडिडेटों का सेंटर यहां दिलवा कर उन्हें पास कराने का पूरा बंदोबस्त किया गया था. हालांकि, अब तक इसमें शामिल किसी विधायक या अन्य सफेदपोशों के नाम आधिकारिक रूप से सामने नहीं आये हैं. जांच का दायरा बढ़ने के साथ ही इनके नामों का खुलासा होने की संभावना है. मालूम हो कि एसआइटी ने गुरुवार को एवीएन स्कूल के निदेशक व औरंगाबाद जिले के निवासी रामाशीष सिंह समेत छह को गिरफ्तार किया था. एसआइटी का यह दावा है कि इसी सेंटर से आधा घंटा पहले पेपर लीक हुआ था.
सूत्रों से प्राप्त सूचना के अनुसार, जबसे रामाशीष सिंह की गिरफ्तारी हुई है, औरंगाबाद जिले के विधायक का मोबाइल लगातार स्विच ऑफ बता रहा है. रामाशीष के नजदीकी लोग इस विधायक से लगातार संपर्क कर रहे हैं, लेकिन कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है. डीएसपी की बेटी के एडमिशन के बहाने बुलाया रामाशीष को : रामाशीष सिंह के पास बुधवार (आठ फरवरी) की दोपहर राजीव नगर थाने से प्रभारी का फोन आया कि डीएसपी साहब की बेटी का एडमिशन आपके स्कूल में करवाना है, इसलिए उन्हें कुछ अहम बात करने के लिए बुलाया जा रहा है. इसके कुछ समय बाद पुलिसकर्मी उनके पास आये और कहा, चलिए बात करने के लिए. इसके बाद वे अपनी गाड़ी और ड्राइवर को लेकर दोनों पुलिसकर्मियों को अपनी गाड़ी में बैठा कर चल दिये. रास्ते में कहा गया कि गांधी मैदान थाना चलना है. जब गांधी मैदान थाना पहुंचे, तब उन्हें कहा गया कि उनसे कुछ अहम बातों पर पूछताछ करनी है. इसके बाद उन्हें किसी गुप्त स्थान पर रात भर रख कर पूछताछ चलती रही. अगले दिन गुरुवार (नौ फरवरी) की शाम को उन्हें मीडिया के सामने प्रस्तुत करते उनकी गिरफ्तारी की बात कही गयी.
रोशन ने गौरीशंकर को सप्लाइ किया था पेपर
नवादा जिले के वारिसलीगंज से पांच फरवरी को दूसरे चरण की परीक्षा के दिन गिरफ्तार गौरीशंकर शर्मा को पेपर सप्लाइ करने के मामले में रोशन नाम के एक व्यक्ति का नाम सामने आया है. यह पटना के बहादुरपुर इलाके का रहनेवाला है. पुलिस फिलहाल इसे पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है. माना जा रहा है कि उसकी गिरफ्तारी से काफी हद तक इसकी जानकारी मिल सकेगी कि पेपर कहां से लीक हुआ और किसने इसमें सबसे अहम भूमिका निभायी है. इन तमाम सबूतों के आधार पर ही आगे की जांच बढ़ेगी.
48 खातों में एक करोड़ से ज्यादा लेनदेन
आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) ने जिन चार दर्जन से ज्यादा बैंक खातों को सील किया है, उनका विस्तृत विवरण जुटाया जा रहा है. इन सभी खातों में पेपर लीक के पहले और बाद में करीब एक करोड़ रुपये के लेनदेन की बात अब तक सामने आ चुकी है. हालांकि, इओयू इनसे जुड़े तमाम पहलुओं की जांच करने में जुटा हुआ है. अब तक दानापुर के पास शनिचरा के दो लोगों नीतीश कुमार सिंह और मुकेश सिंह के खातों में सबसे ज्यादा करीब 20 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन की बात सामने आयी है. इनके अलावा भी कुछ अन्य लोग हैं, जिनके खातों में पिछले 10 दिनों में 10 लाख या इससे ज्यादा का लेनदेन हुआ.
वाट्सएप पर वायरल ही नहीं, कई सेंटरों पर पहुंचाये गये थे आंसर के पुरजे
बीएसएससी की परीक्षा के पेपर व आंसर सोशल मीडिया पर लीक होने के मामले में नया खुलासा हुआ है. कई सेंटरों पर अांसर के पुरजे भी पहुंचाये गये थे. कुछ सेंटिंग करनेवाले अभ्यर्थियों ने तो चिट के रूप में इसे लेकर परीक्षा में पहुंचे थे. प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज एफआइआर की जांच में यह बात सामने आयी है.
जांच में यह पता चला है कि शिशु संघ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सोनपुर, सारण के सेंटर पर आंसर के पुरजे लेकर कई अभ्यर्थी परीक्षा देने पहुंचे थे. साथ ही उन तक आंसर के पुरजे पहुंचाने की कोशिश भी की गयी थी. उस सेंटर के केंद्राधीक्षक की तत्परता से न केवल ऐसे पुरजों को जब्त किया गया, बल्कि संबंधित अभ्यर्थियों पर प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी. केंद्राधीक्षक ने पकड़े गये ऐसे पुरजों पर सेंटर की मुहर लगा कर इसकी तसदीक की है और इसे सबूत के तौर पर पुलिस को मुहैया कराया है.
कई सेंटरों से वायरल हुए थे आंसर : इस मामले में अब तक माना जा रहा है कि एक ही अांसर की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. किसी एक जगह से ही आंसर तैयार कर इसे वाट्सएप पर वायरल किया गया था. लेकिन, प्रभात खबर को जो कागजात हाथ लगे हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि एक नहीं, बल्कि कई ऐसे सेंटर थे, जहां से नेटवर्क पूरे प्रदेश में काम कर रहा था. कहीं, ब्लूटूथ से आंसर अभ्यर्थियों तक पहुंचाये गये थे, तो कहीं पर वाट्सएप के माध्यम से.
नेता आते थे और हमें पुरजा देते थे : अध्यक्ष
एसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार ने कहा कि मेरे पास कई नेता पैरवी के लिए आते थे. जब हम ऐसे संस्थान में होते हैं, जहां पर ऐसा 50 तरह के इम्तिहान होते हैं, तो कई लोग आते हैं. नेता भी आते हैं, तो हम क्या करें? लड़ाई तो नहीं करने लगेंगे? लेकिन, यह जान लीजिए, मुझ पर कोई दबाव नहीं बना सकता. बतौर प्रशासनिक पदाधिकारी मेरा लंबा कैरियर रहा है. मुझे किसी से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है. अध्यक्ष ने आगे कहा कि लोगों को पता है कि क्या होगा, लेकिन इसके बाद भी आते हैं. कुछ नेता भी आते थे, तो बोलते थे. मुझे कागज देते थे, जिसे लेकर में रख लेता था. इसके अलावा टालने का क्या उपाय है, आप ही बताइए? लेकिन पॉलिटिकल दबाव नहीं आया.
एएनएम परीक्षा मामले में रामाशीष सिंह के घर से 60 लोगों के रॉल नंबर मिलने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई लिखित परीक्षा तो नहीं हो रही थी. जो इंटरव्यू में फेल होगा, उसको भी लेना है, यह नियम तय किया गया है, तो आप लोग ही बताइए कुछ बचता है क्या? अब सेटिंग क्यों होगी?
एसआइटी ने एक घंटे तक की पूछताछ
इधर एसआइटी की टीम ने शुक्रवार को बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार से एक घंटे तक पूछताछ की. एसआइटी के सदस्य एएसपी अभियान राकेश दुबे, दानापुर के डीएसपी राजेश कुमार और डीएसपी लॉ एंड आर्डर डॉ मो शिब्ली नोमानी दिन में लगभग दो बजे आइएएस भवन में पहुंचे जहां सुधीर कुमार बीसीइसीइ के कार्यालय में अपना काम निबटा रहे थे. इस दौरान कार्यालय को सुरक्षा घेरे में ले लिया गया. सभी पुलिस अधिकारियों ने उनसे बारी-बारी से पूछताछ की और उनसे प्रश्नपत्र छपवाने से लेकर सेंटर तक उसे पहुंचाने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी. वहीं, पुलिस सूत्रों का यह भी कहना था कि उस बयान के संबंध में भी वे पूछताछ करने पहुंचे थे, जिसमें उन्होंने यह कहा था कि कई नेताओं की पैरवी उनके पास पहुंचती रही है.
क्या कहा एसआइटी ने? एसआइटी के सदस्य एएसपी राकेश दुबे ने बताया कि कई महत्वपूर्ण मसलों पर हमलोग बातचीत करने के लिए पहुंचे थे. हमने क्या-क्या सवाल पूछे और क्या जवाब मिले, अभी इसका खुलासा नहीं किया जा सकता. अभी इस मसले पर अध्यक्ष की संलिप्तता पर कुछ भी कहना जल्दीबाजी होगी. हम सब सभी बिंदुओं पर जांच में लगे हैं, जो भी खुलासा होगा वह आपके सामने होगा.
एसआइटी ढूंढे सही गुनहगार, जांच में पूरा सपोर्ट : अध्यक्ष : अध्यक्ष सुधीर कुमार ने बताया कि हम चाहते हैं कि एसआइटी सही गुनहगार को ढूंढ़ निकाले. क्या सवाल पूछा गया? इसकी जानकारी हम नहीं दे सकते. जांच में हमारी ओर से पूरा सपोर्ट किया जा रहा है.
एसआइटी ने क्या-क्या किये अध्यक्ष से सवाल :
प्रश्नपत्र छपने की क्या प्रक्रिया होती है.
प्रश्नपत्र के लिए निजी एजेंसियों (प्रिंटिंग प्रेस) के चयन के लिए जो टेंडर निकाला जाता है, उसमें किसी एक एजेंसी का चयन का आधार क्या होता है?
इस बार किस एजेंसी को प्रश्नपत्र छपाई का टेंडर मिला था?
प्रश्नपत्र के तैयार करने की क्या प्रक्रिया है? प्रश्नपत्र में क्या-क्या सवाल होते है, इस बात की जानकारी कितने लोगों को होती है?
अंतिम रूप से तैयार प्रश्नपत्र को किस तरह छपने के लिए भेजा जाता है और उसमें कौन-कौन लोग होते है?
जिस एजेंसी में प्रश्नपत्र छपता है, वहां क्या आयोग के स्तर पर निगरानी होती है या नहीं?
प्रश्नपत्र छपाई वाली एजेंसी प्रश्न को कहां पहुंचाती है?
अगर आयोग के पास पहले पहुंचता है, तो वह किस तरह और कहां रखा जाता है और उसकी निगरानी के लिए कौन-कौन लोग होते है.
प्रश्नपत्र कितने दिन पहले पहुंचता है?
आयोग से किस प्रकार और किस तरह से प्रश्न पत्र ट्रेजरी में पहुंचती है?
टॉपर घोटाले में कोई नहीं बचा, पेपर लीक में भी कोई नहीं बचेगा : सीएम
ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में कानून का राज है. लोग सिर्फ बदनाम कर रहे हैं. टाॅपर घोटाले में सभी दोषी जेल गये. अब बीएसएससी का पेपर लीक मामला सामने आया है. इसमें भी किसी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा. दिल्ली में शुक्रवार को स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्र याजी की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करने के बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली की अनधिकृत काॅलोनियों को नियमित करने की प्रक्रिया तेज करनी चाहिए.
जब सरकार उन कॉलोनियों में सड़क और बिजली दे ही रही है, तो उन्हें जल्द नियमित भी कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी यह शुरू से मांग रही है कि जहां बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना चाहिए, वहीं दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार से आनेवाले गरीब-गुरबा, मजदूर दिन-रात मेहनत कर अपनी गाढ़ी कमाई से इन काॅलोनियों में जमीन खरीद कर मकान बताने हैं. लेकिन, अनियमित होने के कारण वे बद से बदतर जिंदगी जीने को मजबूर हो जाते हैं. इसे जल्द नियमित करने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए, ताकि सरकार वहां साफ-सफाई, सीवरेज, पेयजल आपूर्ति आदि का लाभ उन्हें दे सके.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में जो सरकार चुनी जाती है, उनमें प्रवासी बिहारियों के वोट अहम होते हैं. लेकिन इन प्रवासी बिहारियों का वोट लेने के बाद उनके सुख-सुविधा पर ध्यान नहीं दिया जाता. नीतीश कुमार फ्रीडम फाइटर इनकलेव की छठ पूजा समिति द्वारा उनके लिए आयोजित अभिनंदन समारोह में शामिल हुए. समारोह में जदयू के महासचिव (दिल्ली प्रदेश प्रभारी) संजय झा ने कहा कि इस बार जदयू दिल्ली में एमसीडी की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा.
इसके पहले नीतीश कुमार ने कहा कि नेब सराय के प्रवासी बिहारियों ने अपने मोहल्ले में बनाये गये छठ घाट को देखने के लिए बुलाया, तो मैं सहर्ष चला आया. उन्होंने यह भी कहा कि एक बिहारी जब कहीं जाता है, तो भीख नहीं मांगता, बल्कि कोई-न-कोई काम करता है. वे किसी पर बोझ नहीं बनते, बल्कि लोगों के बोझ उठाने का काम करते हैं. इसी कारण, दिल्ली, मुंबई या पंजाब में बिहारियों का सम्मान बढ़ा है. आज दिल्ली में बिहारियों का योगदान इतना अधिक हो चुका है कि अगर वे किसी दिन यह निर्णय ले लें कि आज काम नहीं करना है, तो पूरी दिल्ली थम जायेगी.
कल ही बीपीएससी पीटी पीटिशनर्स को भी मौका
बिहार लाेक सेवा आयोग (बीपीएससी) की 60वीं से 62वीं तक की संयुक्त प्रतियोगिता (प्रारंभिक) परीक्षा रविवार (12 फरवरी) को निर्धारित समय पर ही हाेगी. पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को आयोग को इसकी अनुमति दे दी. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधीर सिंह के कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई शुरू की, जिसके दौरान आयोग ने एकल पीठ के खिलाफ अपनी अपील याचिका वापस ले ली.
इसके बाद आयोग पुन: एकल पीठ के समक्ष गया. जस्टिस डाॅ रवि रंजन के एकल पीठ ने 10 और याचिकाकर्ताओं को एडमिट कार्ड उपलब्ध कराने को कहा. इस पर आयोग सहमत हो गया. इसके पहले जब कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, तो आयोग से पूछा गया कि क्या वह सभी वैसे आवेदकों को, जिन्हें एडमिट कार्ड नहीं मिला है, एडमिट कार्ड उपलब्ध करा सकता है. इसके लिए उसे शनिवार को दो घंटे की समय निर्धारित करना चाहिए.
कोर्ट ने यह भी कहा कि इस दौरान जितने भी आवेदक आयेंगे, सबको एडमिट कार्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए. इसके प्रचार- प्रसार के लिए आज ही नोटिस निकालने को कहा.
आयोग के वकील और प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने आयोग के तकनीकी सलाहकार से पूछा कि क्या आयोग ऐसा कर सकता है, तब सलाहकार ने तकनीक कारणों का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा संभव नहीं है. इस पर कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह अपील वापस ले, नहीं तो कोर्ट अपना फैसला सुनायेगा. इस पर कोर्ट ने अपनी अपील वापस ले ली.