वाशिंगटन/नयी दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में प्रवेश को लेकर अभी भी भारत की उम्मीदें बरकरार हैं. भारत को आशा है कि विरोधी चीन को डोनाल्ड ट्रंप सरकार समझाने में कामयाब हो जाएगी. ओबामा प्रशासन का खुलकर विरोध किये जाने के एक दिन बाद निवर्तमान अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा ने मंगलवार को विश्वास जताया कि डोनाल्ड ट्रंप सरकार चीनी अवरोध को दूर करने में कामयाब होगी.
वर्मा ने कहा कि राष्ट्रपति बराक ओबामा, विदेश मंत्री जॉन केरी और कई अन्य लोगों ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत की सदस्यता पर जोर देने की दिशा में काम किया है और अमेरिका इस पर काम करता रहेगा. आपको बता दें कि चीन ने सोमवार को कहा है कि ‘विदाई उपहार’ के रुप में परमाणु अप्रसार संधि (एनएसजी) पर दस्तखत नहीं करने वाले देशों का एनएसजी में प्रवेश नहीं हो सकता.
इससे पहले ओबामा प्रशासन ने कहा था कि भारत को एनएसजी का सदस्य बनाने के प्रयासों में बीजिंग ‘अवरोधक’ है. इसके बाद चीन की प्रतिक्रिया आई है. वर्मा ने कहा, ‘‘इस पर हम काम करते रहेंगे. भारत की सदस्यता के लिए भरपूर समर्थन है क्योंकि हमने कहा था कि हम एनएसजी में भारत के प्रवेश का पुरजोर समर्थन करते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘‘ये चीजें जटिल हैं, इनमें समय लगता है, ये बहुपक्षीय हैं. हमें चीन समेत उन देशों के साथ काम करते रहना होगा जिनकी कुछ चिंताएं हो सकती हैं. लेकिन मेरा मानना है कि आखिर में वहां हमारी मौजूदगी होगी.’
रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति पद की कमान संभालने जा रहे हैं. उससे पहले पद से हटने वाले वर्मा ने कहा कि अमेरिका एनएसजी और अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत के प्रयासों का पुरजोर समर्थन करता रहा है. वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी भारत की सदस्यता का पक्षधर है.
उन्होंने यहां एक समारोह से इतर संवाददाताओं से कहा, ‘‘ये सभी चीजें राष्ट्रपति ओबामा के लिए बहुत बहुत महत्वपूर्ण रहीं हैं और मेरा विश्वास है कि ये प्राथमिकता में रहेंगी.’ भारत को अधिकतर देशों का समर्थन होने के बावजूद चीन 48 सदस्यीय समूह में भारत के प्रयासों को बाधित कर रहा है. चीन इस आधार पर भारत की कोशिशों को बाधित कर रहा है कि भारत ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं.