इसे 21वीं सदी में धरती से दिखने वाले अद्भुत नजारों की श्रेणी में रखा जा सकता है. धरती के चारों ओर परिक्रमा करने वाला चंद्रमा आगामी 14 नवंबर को धरती के बेहद नजदीक होगा. बता दें कि यह नजारा इसी महीने आने वाली कार्तिक पूर्णिमा को दिखेगा.
इस पूरे मामले पर नासा का कहना है कि चंद्रमा का एलिप्टिकल ऑरबिट होता है, इसका एक हिस्सा (perigee) पेरिजी कहलाता है तो वहीं दूसरा हिस्सा (apogee) अपोजी कहलाता है. पेरिजी का पूरा हिस्सा लगभग 48,280 किमी (30,000 मील) है. इसके अलावा जब सूर्य, चंद्रमा और धरती एक कतार में आते हैं तो उसे (syzygy) सिजिगी कहते हैं.
जब पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य पेरिजी में पड़ते हैं और चंद्रमा हमसे नजदीक होता है तो उसे सिजिगी कहते हैं. वहीं जब चंद्रमा पृथ्वी के दूसरे तरफ होता है तो उसे हम पेरिजी-सिजिगी कहते हैं.
इस वजह से चंद्रमा हमें अपेक्षाकृत नजदीक और चमकदार दिखता है. इसे सुपरमून कहकर संबोधित किया जाता है. विज्ञान की भाषा में इसे पेरिजी चंद्रमा कहेंगे.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ऐसा भी नहीं है कि सुपरमून का कॉन्सेप्ट कोई नई चीज है. यह अक्सर दिखता रहता है. बीते 16 अक्टूबर को यह दिखा था. आगामी 14 नवंबर के बाद फिर 14 दिसंबर को भी सुपरमून दिखेगा. मगर 14 नवंबर को चंद्रमा पेरिजी के 2 घंटे के भीतर ही पूरा-पूरा देखा जा सकेगा.
आगामी 14 नवंबर को दिखने वाला फुलमून न सिर्फ साल 2016 में धरती का सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा बल्कि 21वीं सदी का ही सबसे नजदीकी चंद्रमा होगा. भविष्य में ऐसा नजारा साल 2034 में 25 नवंबर को देखने को मिलेगा. हालांकि आप इसे कहां से देखते हैं, इस पर भी चंद्रमा की चमक और आकार निर्भर करेगा.
ऐसा अद्भुत नजारा देखने के लिए आपको किसी ऊंची जगह पर जाना होगा. किसी पहाड़ी या ऊंची बिल्डिंग के साथ-साथ आप किसी अपेक्षाकृत अंधेरी जगह पर जाकर इस ऐतिहासिक नजारे का लुत्फ उठा सकते हैं. भारत में यह सबसे नजदीक 14 नवंबर की सुबह 8 बजकर 52 मिनट पर दिखेगा. तो तैयार रहें. ऐसा न हो कि यह ऐतिहासिक नजारा छूट जाए.