भारत सरकार की नजर से भले ही कश्मीर में तनाव फिलहाल थम गया हो. लेकिन हकीकत ये नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि कश्मीरी आतंकियों को उनके चाहने वालों से भरपूर सम्मान मिल रहा है. कश्मीर में इन दिनों एक कैलेंडर चल रहा है, जिसमें भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने वालों को शहीद बताकर उन्हें महिमामंडित किया जा रहा है.
इस आतंकी कैलेंडर में अफजल गुरु से लेकर बुरहान वानी तक सभी की मौत को शहादत दिवस की तरह दर्ज किया गया है. सुरक्षा बलों को पिछले कुछ वक्त में मिली जबरदस्त कामयाबी के पीछे मजबूत खुफिया तंत्र का बड़ा हाथ है. सुरक्षा बलों के हाथ आतंकियों की ओर से पूरी कश्मीर घाटी में सर्कुलेट किया जा रहा ये कैलेंडर हाथ लगा.इस कैलेंडर में जनवरी 2017 से लेकर दिसंबर 2017 तक हाल ही में और पहले मारे गए सभी आतंकियों की तस्वीरें और उनका पूरा ब्योरा दिया है. कैलेंडर में उनके मारे जाने की तारीख भी दी गई है. इसमें बुरहान वानी, अफजल गुरू, मकबूल भट्ट जैसे आतंकी शामिल हैं.
कैलेंडर में ऊपर और नीचे आतंकियों को शहीद बताकर इनकी कुर्बानी का बखान किया गया है. इनके मारे जाने की तारीखों के अलावा पब्लिक प्रोटेस्ट के दौरान मारे जाने वाले लोगों को शहीद करार देकर सुरक्षाबलों की कार्रवाई को नरसंहार बताया है. कैलेंडर में ऐसी तारीखों को लाल, हरे, नीले और नारंगी रंग में दिखाया गया है. ब्लैक डे की तारीख को काले रंग में दिखाया गया है. साथ ही सुरक्षा बलों की कार्रवाई में पैलेट लगने से अपनी दोनों आंखें गंवाने वाली इंशा मलिक की तस्वीर को भी प्रमुखता से छाप कर पूरी घटना का ब्योरा दिया गया है.
‘फ्रीडम चाचा’ के नाम से आतंकियों के बीच मशहूर और फिलहाल जम्मू-कश्मीर की कोट भलवाल जेल में बंद सरजान बरकती की भी तस्वीर इस कैलेंडर में दी गई है. सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर में मारे गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी इशहाक अहमद को ‘कश्मीर का न्यूटन’ बताया गया है. बुरहान वानी को कैलेंडर में कश्मीर का गौरव बताया गया है. लंदन में वर्ल्ड कश्मीर मूवमेंट चला रहे डा. अय्यूब ठाकुर को कश्मीर का पहला न्यूक्लीयर फिजिसिस्ट लिखा गया है. ऐसे ही अन्य मारे गए आतंकियों के नाम दिए गए हैं.
दरअसल, आतंकियों द्वारा सर्कुलेट किया गया ये कैलेंडर सुरक्षा बलों के लिए काफी मददगार साबित हुआ है. इस कैलेंडर से सुरक्षा बलों को घाटी में अपनी रणनीति बनाने में काफी मदद मिली है. 14 फरवरी को बांदीपुरा के हाजिन में हुए एनकाउंटर में सुरक्षा बलों ने लश्कर के तीन आतंकियों को ढेर कर दिया था. हालांकि इसकी बड़ी कीमत तीन जवानों की शहादत से चुकानी पड़ी. सुरक्षा बल इस कैलेंडर की मदद से कामयाबी के साथ कैलेंडर में बताई गई तारीख पर आतंकियों की ओर से एक खास इलाके में हमले की प्लानिंग या फिर पब्लिक प्रोटेस्ट की सटीक खुफिया जानकारी इकठ्ठा कर रहे हैं.
इतना ही नहीं कारगर तरीके से वहां फोर्स की तैनाती कर आतंकियों के नापाक मंसूबों को भी विफल किया जा रहा है. मारे जा रहे आतंकियों की संख्या में लगातार हो रही बढ़ोतरी के पीछे इस कैलेंडर को भी एक वजह माना जा रहा है.