नयी दिल्ली : अब ज्वेलर्स आपको बेचने वाले सोना में हेरफेर नहीं कर सकेंगे, इससे इसमें आपका निवेश सुरक्षित और लाभदायी बना रहेगा. सरकार ने पहली जनवरी 2017 से सभी तरह के सोने की हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है. सरकार ने इसके लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड को निर्देश भेज दिया है. साथ ही हॉलमार्किंग की कटेगरी भी सीमित कर दी है. पहले दस कटेगरी में हॉलमार्किंग होती थी, लेकिन अब मात्र तीन श्रेणी में हॉलमार्किंग होगी. ये श्रेणियां 22 कैरेट, 18 कैरेट व 14 कैरेट के लिए होंगी.
सरकार ने सोने की ज्वेलरी के साथ सोने के सिक्के व बिस्किट के लिए भी हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है. फिलहाल सोने के कारोबार में बड़ा हेरफेर होता है, जिसका खामियाजा खुदरा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है. हॉलमार्किंग अनिवार्य नहीं होने पर ज्वेलर्स अक्सर कम कैरेट के सोने को ज्यादा कैरेट का बता कर बेचते हैं और बाद में ग्राहकों को उसका उचित कीमत नहीं मिलती है. दूसरी बात, ग्राहकों को महंगे हॉलमार्किंग का भय दिखा कर ज्वेलर्स उससे भी बचते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा.
हॉलमार्किंग बेहद सस्ता है. मात्र 30 रुपये प्रति ज्वेलरी की दर से हॉलमार्किंग किया जाता है. यह दर छोटे व बड़े सभी तरह की ज्वेलरी पर समान ढंग से लागू होती है. देश में भारतीय मानक ब्यूरो के 375 हॉलमार्किंग सेंटर व फेंचाइजी हैं, जहां जाकर आप अपने पुराने ज्वेलरी की भी हॉलमार्किंग मात्र 30 रुपये प्रति ज्वेलरी की दर से करा सकते हैं. इससे आपको अपने पुराने ज्वेलरी की सही शुद्धता का पता चल जायेगा.