नयी दिल्ली : नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने आज एक बड़ा फैसला करते हुए सभी कर्मचारियों के वेतन चेक के माध्यम से या फिर खाते में जमा करने का प्रस्ताव पारित किया है. सरकार ने आज एक अध्यादेश पारित किया है जिसमें सभी कंपनियों या इंडस्ट्रीज को अपने कर्मचारियों को चेक या बैंक खाते में सैलरी देने की बाध्यता लग जायेगी. किसी भी कर्मचारी को कैश में सैलरी नहीं दी जाएगी. डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार का यह कदम काफी महत्वपूर्ण साबित होगा. हालांकि इसे सख्ती से लागू करवाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया जायेगा. राज्य सरकारे अपने दायरे में आने वाले कंपनियों को इसके लिए आदेश जारी करेंगी.
इस कानून में संशोधन को लेकर इसी माह संपन्न हुए संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन से एक दिन पहले यानी 15 दिसंबर 2016 को लोकसभा में वेतन भुगतान (संशोधन) विधेयक 2016 पेश किया गया था, जिसे अब बजट सत्र में पारित कराया जा सकता है. बजट सत्र अगले वर्ष होगा और सरकार को इसके लिए इंतजार करना होगा. ऐसे में पहले से ही कयास लगाये जा रहे थे कि नकदी के संकट से निबटने और कैशलेश ट्रांजेक्शन अभियान को प्रभावी बनाने के लिए सरकार अध्यादेश ला सकती है. सरकार जो लेकर आयी है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद से यह अध्यादेश प्रभावी हो जायेगा.
वेतन भुगतान (संशोधन) विधेयक 2016 में मौजूदा वेतन भुगतान कानून की धारा-6 में संशोधन का प्रस्ताव है. इस धारा में संशोधन के बाद नियोक्ताओं और कंपनियों को अपने कर्मचारियों के वेतन भुगतान के तरीके में बदलाव करना होगा. वे वेतन का भुगतान चेक या इलेट्रॉनिक माध्यम से कर्मचारियों के बैंक खातों में ही कर सकेंगे. इससे जहां कैशलेस ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने का उद्देश्य पूरा होगा, वहीं कामगरों के वेतन और भविष्य निधि संबंधी हितों को सुरक्षा देना संभव हो सकेगा.