· नोबेल पुरस्कार विजेता और वैश्विक नेता बच्चों के हक की लड़ाई लड़ने के लिए उठाएंगे एक साथ आवाज
· सम्मेलन में प्रसिद्ध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और स्वीडन के प्रधानमंत्री श्री स्टीफन लोफवेन से लेकर भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी और विश्व प्रसिद्ध पॉप गायक रिकी मार्टिन भी करेंगे शिरकत
· कोरोना की वजह से इस बार वर्जुअल होगा यह सम्मेलन
नई दिल्ली। लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन कारोना संकट काल में दुनियाभर के बच्चों को शोषण और हिंसा से बचाने के मकसद से वैश्विक शिखर सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। 9-10 सितंबर, 2020 को आयोजित इस वैश्विक आभासी सम्मेलन में दुनिया के उन 20 फीसदी उपेक्षित और हाशिए के बच्चों की समस्याओं और उनके निकारण पर चर्चा की जाएगी, जो कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कोरोना महामारी से उपजे स्वास्थ्य और आर्थिक संकट ने सबसे ज्यादा समाज के वंचित और अति पिछड़े तबके के लोगों को ही प्रभावित किया है। आशंका जाहिर की जा रही है कि इसकी वजह से बाल श्रम और बाल दुर्व्यापार (ट्रैफिकिंग) के साथ-साथ बच्चों का यौन शोषण भी बढ़ेगा। इस सम्मेलन में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के अलावा दुनिया के हरेक क्षेत्र की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हस्तियां भाग लेंगी। लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन नामक संस्था की स्थापना भारत के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता श्री कैलाश सत्यार्थी ने की है।
श्री कैलाश सत्यार्थी की अगुआई में आयोजित लॉरिएट्स एंड लीडर्स सम्मिट फॉर चिल्ड्रेन में शामिल होने वाली प्रमुख हस्तियों में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, स्वीडन के प्रधानमंत्री श्री स्टीफन लोफवेन, भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमति स्मृति ईरानी, विश्व प्रसिद्ध पॉप गायक रिकी मार्टिन, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक श्री गाय राइडर के नाम शामिल हैं। इसके अलावा नोबेल शांति विजेताओं में श्री लेहमाह गॉबी, श्रीमति तवाकोल कर्मन, श्री मुहम्मद यूनुस और श्री जोडी विलियम्स सहित कई अन्य वैश्विक नेताओं ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए अपनी सहमति प्रदान की है।
बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का प्रमुख एजेंडा कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद दुनिया के सबसे वंचित और कमजोर बच्चों की दशा को सुधारने के लिए उचित आर्थिक हिस्सेदारी की मांग करना और समाज के साथ मिलकर काम करने पर केंद्रित होगा। लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन के बैनरतले एकजुट होने वाले नोबेल विजेता और वैश्विक नेता इस अवसर पर दुनिया की सरकारों और नीति निर्माताओं से संसार के सभी बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार और आजाद बचपन जीने का अधिकार सुनिश्चित करने की मांग करेंगे। कोरोना महामारी के दौरान दुनिया की अमीर सरकारों द्वारा नौकरियों और अर्थव्यवस्थाओं की रक्षा के लिए 17 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की मदद की प्रतिबद्धता जताई गई है। दुनिया के हाशिए के 7 करोड़ (70 मिलियन) लोगों की जान केवल एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद से बचाई जा सकती है। यानी इसके लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए दी जाने वाली आर्थिक मदद की धनराशि में से महज 5 प्रतिशत की रकम ही चाहिए। लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (यूएस) की एक पहल है। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन बच्चों के शोषण के खिलाफ और हिंसा की रोकथाम के लिए काम करने वाला एक वैश्विक संगठन है। फाउंडेशन अपने कार्यक्रमों, प्रत्यक्ष हस्तक्षेप, अनुसंधान, क्षमता निर्माण, जन-जागरुकता और व्यवहार परिवर्तन के जरिए बाल मित्र दुनिया के निर्माण का सार्थक प्रयास कर रहा है।
लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन के संस्थापक और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी मौजूदा संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहते हैं, “कोरोना महामारी ने अति गरीब परिवारों द्वारा सामना की जाने वाली गहरी असमानताओं को उजागर किया है। ऐसे लोगों के पास इस वैश्विक संकट से उबरने के लिए कोई उपाय नहीं है। महामारी के दौर में राष्ट्रीय हितों और विश्व अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिए वैश्विक सरकारों द्वारा अप्रत्याशित भारी खर्च के बावजूद बच्चों को सुरक्षित करने के बाबत बहुत कम धनराशि आवंटित की गई है। जबकि हकीकत यह कि दुनिया के हरेक 5 बच्चे में से 1 बच्चा 2 अमेरिकी डॉलर से भी कम में अपना जीवन जीता है। मैं दुनियाभर के नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं से आग्रह करता हूं कि वे उन बच्चों के लिए आवाज उठाएं जो इस अप्रत्याशित मानवीय संकट से बुरी तरह प्रभावित हैं। अगर हमने इन्हें बचाने के लिए तत्काल कोई कदम नहीं उठाए, तो हम पूरी एक पीढी को खो देंगे।’’
लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन के सितंबर में होने वाले तीसरे सम्मेलन के लिए मई 2020 में ही एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसके प्रमुख मुद्दों और मांगों पर 88 नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने हस्ताक्षर किए थे। इसके जरिए कोरोना के कारण दुनियाभर के बच्चों और परिवारों द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों से लोगों को रुबरू कराया गया और इससे पैदा हुए मानवीय एवं आर्थिक प्रभाव से निपटने के लिए जागरुकता पैदा करने की एक कोशिश भी की गई।
कोरोना का वैश्विक कहर लाखों बच्चों को बाल श्रम, शिक्षा और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक दशक पीछे ढकेल सकता है। लेकिन, अगर दुनियाभर की सरकारें मिलकर बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रयास करती हैं, तो आसन्न संकट को टाला जा सकता है। सरकारों के दिलचस्पी नहीं लेने के परिणामस्वरूप लाखों बच्चे स्कूल से बाहर हो जाएंगे और उन्हें अपने परिवारों का भरण-पोषण करने के लिए बाल श्रम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सम्मेलन के दौरान विश्लेषण करके यह घोषणा भी की जाएगी कि दुनिया के सबसे वंचित और हाशिए के बच्चों के लिए कितना धन खर्च करने का वादा किया गया है। इस कार्यक्रम को यू-ट्यूब और फेसबुक पर लाइवस्ट्रीम किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन और अन्य जानकारी www.laureatesandleaders.org पर हासिल की जा सकती है।